भूजल हो रहा दूषित
इलमा अजीम
देश के खाद्यान्न संकट दूर करने वाले राज्य पंजाब व हरियाणा का भूजल चिंताजनक स्तर तक दूषित पाया गया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की यह रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है। हमने मुनाफा बढ़ाने के लिये जिस भूजल का अंधाधुंध दोहन किया है वह अब अपना नकारात्मक प्रभाव दिखाने लगा है। निश्चित रूप ने कुदरत ने हमें आवश्यकता का जल तो दिया है लेकिन उसके अनियंत्रित दोहन की अनुमति नहीं दी है। पंजाब बड़े पैमाने पर धान की खेती करता रहा है।
हालांकि, पंजाब के भोजन में चावल प्राथमिक नहीं रहा है। लेकिन व्यावसायिक हितों की पूर्ति के लिये धान की खेती को प्रश्रय दिया गया। इस खेती की वजह धान की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का मिलना भी है। अब किसानों को फसलों के विविधीकरण के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग संकट के मद्देनजर यह चुनौती और गंभीर हो जाती है क्योंकि वर्षा जल के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है। जिसके चलते सूखे व बाढ़ जैसी स्थितियां कभी भी पैदा हो जाती हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के संकट के मद्देनजर उन फसलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो कम पानी में उग सकें और अधिक मुनाफा दे सकें। सरकारों की ओर से मुफ्त सिंचाई की सुविधा के सवाल पर भी पुनर्विचार किया जाना चाहिए। दरअसल, हमें जो चीज मुफ्त उपलब्ध हो जाती है, हम उसके उपयोग में किफायत नहीं बरतते। हमें हर मुफ्त चीज की बड़ी कीमत कालांतर चुकानी पड़ती है। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट राजस्थान व गुजरात के भूजल में निर्धारित मानक से अधिक फ्लोराइड होना बताती है।
यहां एक विचारणीय प्रश्न यह भी है कि कई स्थानों पर मानसून के बाद पानी गुणवत्ता में सुधार देखा गया। ऐसे में हमें वर्षा जल को धरती में रिचार्ज करने की दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए। दरअसल, रिपोर्ट बताती है कि बारिश के पानी के रिचार्ज होने से घातक पदार्थ का असर कम हो जाता है। गंभीर बात यह भी है कि इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 440 जिलों के भूजल में नाइट्रेट खतरनाक स्तर तक पाया गया है। जो कि अनेक गंभीर बीमारियों का कारक बन सकता है। इस गंभीर संकट पर समाज, सरकार व स्वयंसेवी संगठनों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
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