सनातन के सभी पंथ व मत चंदन की लकड़ी के समान पवित्र हैं - डॉ. अतुल कृष्ण
जाति विहीन समाज से सनातन का भाव होगा सशक्त
मेरठ। मुज़्ज़फ़्फ़रनगर के भूपखेड़ी स्थित श्री श्री 12001 परमहंस राम रतन जी महाराज आश्रम ट्रस्ट के द्वारा सनातन सम्मेलन एवं भजन संध्या का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में सुभारती समूह के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेम करुणा मैत्री समानता एवं समन्वय रखने वाले सभी पंथ व मत चंदन की लकड़ी की भांति पवित्र एवं महत्वपूर्ण है तथा सनातन की डोरी उन्हे आपस में बांधती हैं ।
इस से पूर्व सम्मेलन में पहुंचने पर परमहंस राम रतन जी महाराज आश्रम ट्रस्ट की ओर से स्वामी गौरवानन्द महात्मा ने डॉ.अतुल कृष्ण का भव्य स्वागत किया।डॉ.अतुल कृष्ण ने कहा कि सनातन एक भाव है, जिसका सीधा संबंध लौकिक व्यवहार से है। अगर कोई व्यक्ति प्रेम, करूणा, मैत्री, समानता, सद्भावना व समन्वय में विश्वास रखता हो, तो वह सनातनी है। हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख के अलावा अगर मुस्लिम, ईसाई, यहूदी पारसी भी यह भाव रखेंगे, तो वह भी सनातनी होंगे। उन्होंने आगे कहा कि सनातन राष्ट्र बनाने हेतु बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के आदर्शों को आत्मसात करना होगा। सनातन को सशक्त करने हेतु जाति विहीन समाज की स्थापना बहुत आवश्यक है। उन्होंने जाति वर्ण व्यवस्था के भेदभाव को खत्म करने एवं समानता व सद्भावना के साथ राष्ट्रहित में जीवन व्यतीत करने हेतु सभी को प्रेरित किया।
स्वामी गौरवानन्द महात्मा ने कहा कि आज विश्व को सनातन की आवश्यकता है। विश्व में फैल रही हिंसा, अत्याचार व अतिवादी स्थिति को सनातन भाव से ही समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने सुभारती समूह के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण द्वारा जाति विहीन समाज व सनातन राष्ट्र हेतु किये जा रहे गौरवशाली कार्यो की सराहना की।इस अवसर पर अनिल अज्ञात,विवेक सोम सहित राजदरबार परमात्मा नंद आश्रम ट्रस्ट के पदाधिकारी व श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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