महिलाओं की भूमिका

इलमा अजीम 
भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका पर दृष्टिकोण में समय-समय पर बदलाव आया है। प्राचीन भारत में नारी को प्रकृति का वरदान माना गया था और वह समाज के विकास में बराबरी की भागीदार रही है। सृष्टि के सृजन में नारी और पुरुष दोनों का योगदान समान है और वे एक-दूसरे के पूरक हैं। उस समय महिलाओं को सम्मान और अधिकार प्राप्त थे, और वे अपने परिवार और समाज में अहम स्थान रखती थीं। नारी को देवी का रूप माना जाता था और उसे पुरुषों के समान अधिकार दिए जाते थे। 
हालांकि, मध्यकाल में विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के कारण महिलाओं की स्थिति में गिरावट आई। पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियों ने नारी की स्थिति और भी दयनीय बना दी। इन प्रथाओं ने न केवल महिलाओं के अधिकारों का हनन किया, बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से भी दबा दिया। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को कमजोर और उपेक्षित माना जाने लगा था, और उन्हें केवल घरेलू कार्यों तक ही सीमित कर दिया गया। 


समाज में बदलाव की शुरुआत हुई जब राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा का विरोध किया और उसे समाप्त करने के लिए कानून बनवाया। इसके साथ ही ज्योतिराव फुले, सावित्रीबाई फुले जैसे समाज सुधारकों ने नारी के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद डा. भीमराव अंबेडकर के प्रयास से भारतीय संविधान ने महिलाओं को समान अधिकार दिए, जिससे नारी को पुरुषों के समान सम्मान और अवसर मिलने लगे। इस प्रकार, नारी अब केवल अबला नहीं, बल्कि सशक्त और सक्षम महिला के रूप में उभरी है। आज भारतीय समाज में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधा मिलाकर काम कर रही हैं।
 चाहे वह राजनीति हो, व्यापार हो, शिक्षा हो या खेल, महिलाएं अपनी प्रतिभा और क्षमता का भरपूर प्रदर्शन कर रही हैं। कई महिलाएं अब शीर्ष पदों पर कार्यरत हैं, जैसे भारत की पहली महिला राष्ट्रपति, महिला प्रधानमंत्री और विभिन्न मंत्रालयों की प्रमुख। इस प्रकार, नारी ने साबित कर दिया है कि वह किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां महिलाओं की आर्थिक स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है।



 यहां महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं में 50 फीसदी आरक्षण मिला, जिससे उनकी राजनीतिक भागीदारी और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। महिलाएं अब न केवल राजनीति में, बल्कि कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। ‘स्टैंडअप इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी योजनाओं ने महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया है। नीति आयोग ने महिला उद्यमिता मंच की स्थापना की है, जो महिलाओं को आवश्यक संसाधन और अवसर प्रदान करता है। महिलाओं की भूमिका दिन-प्रतिदिन सशक्त हो रही हैं।

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