पाकिस्तानी कब्जे वाला सब कश्मीर हमारा है..:
मेरठ महोत्सव में कवियों-शायरों ने सजाई अदब की महफिल
मेरठ। मेरठ महोत्सव के चाैथे दिन मंगलवार शाम को कवियों और शायरों ने अदब की महफिल सजाई। राष्टीय संस्कृति साहित्यलोक मेरठ की तरफ से आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोत्राओं का मन मोह लिया। कवियों-शायरों ने अपनी प्रस्तुति से शाम को हसीन बना दिया।
ओज के वरिष्ठ कवि हरिओम पंवार ने अपनी कविता ‘पैरों में अंगारे बांधे, सीने में तूफान भरे, आंखों में दो सागर आजें, कई हिमालय शीश धरे, मैं धरती के आंसू का संत्रास नहीं तो क्या सोऊं, खूनी तालिबानों का इतिहास नहीं तो क्या गाऊं सुनाकर... हर किसी को जोश से सराबाेर कर दिया।
हरिओम पंवार ने पढ़ा कि नई सदी का भारत है ये 62 वाला दौर नहीं, हम भी दुनिया के दादा हैं दिल्ली हैं लाहौर नहीं,हमने अपने संविधान से 370 मिटा दिया। नेहरू जी ने जो डाला था सांप गले से हटा दिया, रावलपिंडी के दिल में जब खोट दिखाई देता है। उनको सपनों में भी बालाकोट दिखाई देता है, पाकिस्तानी कब्जे वाला सब कश्मीर हमारा है.. सुनाकर हर किसी में जोश भर दिया।नामचीन शायर डॉ. नवाज देवबंदी ने कहा कि आज का कवि सम्मेलन और मुशायरे ने एक बड़ी रुपरेखा तैयार की है।नवाज देवबंदी ने एक आंखों के पास है, एक आंखों से दूर... बेटा हीरा होता है और बेटी कोहिनूर...सुनाकर हर किसी की वाहवाही लूट ली।
उन्होंने सुनाया... दूसरा फैसला नहीं होता, इश्क में मशविरा नहीं होता। कुछ न कुछ पहले खोना पड़ता है, मुफ्त में तर्जुबा नहीं होता। और जब तलक रूबरू न हो कोई, आईना आईना नहीं होता। खुद ही सौ रास्ते निकलते हैं जब कोई रास्ता नहीं होता। दुनिया खड़ी हो रस्ते में फिर हमको इससे क्या, जब वो नहीं दरीचे में फिर हमसे इससे क्या।
‘रोशनी का कुछ ना कुछ इमकान होना चाहिए, बंद कमरे में भी रोशनदान होना चाहिए। वो जो अनपढ़ हैं, चलो हैवान हैं तो ठीक है, हम पढ़े लिखों को इंसान होना चाहिए। हिंदू मुस्लिम चाहे जो लिखा हो माथे पर मगर, आपके सीने में हिंदुस्तान होना चाहिए।’ सुनाकर वाहवाही लूटी।
कवियित्री डॉ. अनामिका अंबर जैन ने कभी दरिया के भीतर भी समुंदर जाग उठता है, मिले सम्मान हीरे का तो पत्थर जाग उठता है। मेरा ईश्वर, तेरा अल्लाह हो मालिक एक है सबका, मेहरबानी हो उसकी तो मुकद्दर जाग उठता है... सुनाकर समा बांध दिया।
उन्होंने झेलम रावी या सतलज हो, सबमें नीर हमारा है... तरकश बेशक तेरा है पर हर एक तीर हमारा है। जाकर सीमा पार तिरंगा तान ठोककर बोलेगा, ये कश्मीर हमारा था अब वो कश्मीर हमारा है...सुनाकर सभी में जोश भर दिया। उन्होंने आगे सुनाया कि अगर तुम भी नहीं हमसे तो फिर हम भी नहीं तुमसे, कोई खुशियां नहीं तुमसे कोई गम भी नहीं तुमसे। हुनर से कद को अपने खुद बढ़ाना जानते हैं हम, ज्यादा तो नहीं तुमसे मगर कम भी नहीं तुमसे...पंक्तियां सुनकर हर कोई ताली बजाने पर मजबूर हो गया।
कवियित्री कोमल रस्तोगी ने सफलता पा जा लो तो झूमकर मदमस्त मत होना...भले ही लाख शोहरत दौलत पा लो समय अपने को ना दे पाओ इतना तुम व्यस्त मत होता...सुनाकर वाहवाही बटोरी।
कवि सौरभ जैन सुमन, शायर पाॅपुलर मेरठी, सत्यपाल और सुमनेश सुमन ने अपनी कविताएं सुनाकर सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
ये रहे मौजूद
कवि सम्मेलन में राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत वाजेपई, प्रदेश सरकार में मंत्री दयाशंकर मिश्र, राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर, विधायक अमित अग्रवाल, एमएलसी अश्चवनी त्यागी, एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज, पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल, विवेक रस्तोगी एवं कमिश्नर सेल्वा कुमार जे., डीएम दीपक मीणा और सीडीओ नुपूर गोयल मौजूद रहीं।
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