राष्ट्रीय सम्मेलन "आधुनिक कृषि: नवाचार और सततता के लिए रेज़िलियंट भविष्य
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विवि के प्लांट प्रोटेक्शन विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि शिक्षा दिवस के अवसर पर "आधुनिक कृषि: नवाचार और सततता के लिए रेज़िलियंट भविष्य" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ 3 दिसंबर 2024 को हुआ, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के राष्ट्रीय नाशीजीवी एवं केंद्रीय प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ. सुभाष चंदर मुख्य अतिथि रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने की।
राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉ. सुभाष चंदर ने एकीकृत कीट प्रबंधन पर केंद्रित व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने सतत कृषि के लिए बेहतर कृषिविद्यात्मक विधियों को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि कीटनाशकों के कम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन तकनीक का प्रचार-प्रसार आवश्यक है। उन्होंने बताया कि देश में केवल 9000 टन बायोपेस्टीसाइड्स का उपयोग हो रहा है, जबकि नीम आधारित उत्पादों और जैविक विधियों का अधिक उपयोग करके फसल रोगों पर नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण संभव है। डॉ. चंदर ने ड्रोन, रिमोट सेंसिंग तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से फसलों की निगरानी और रोग नियंत्रण को अधिक प्रभावी बनाने की बात कही।
सम्मेलन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा, "प्लांट प्रोटेक्शन विभाग अपने कार्यों में अत्यंत सराहनीय प्रदर्शन कर रहा है। हमारी जिम्मेदारी अपने ग्रह को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है।" उन्होंने सतत और नवीन रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए सम्मेलन की थीम को सराहा।
दूसरे सत्र में प्रमुख वैज्ञानिक प्रो. मुकेश सहगल ने कृषि के भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान पर व्याख्यान देते हुए बताया कि कृषि का देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 18%, निर्यात में 14% और रोजगार में 56.7% योगदान है। उन्होंने फसल सुरक्षा और रसायन मुक्त खाद्य उत्पादन पर जोर दिया।
सम्मेलन के तीसरे सत्र में पत्तियों के माइक्रोबायोम के सतत कृषि स्वास्थ्य प्रबंधन में योगदान पर चर्चा हुई। इस विषय पर प्रस्तुत शोध में बताया गया कि पत्तियों से जुड़े बैक्टीरिया, जैसे Pantoea, Microbacterium, Sphingomonas, और Chryseobacterium, चावल की बीमारियों जैसे ब्लास्ट और बैक्टीरियल ब्लाइट को नियंत्रित करने में सहायक हैं।
इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर से आए वैज्ञानिकों और शोधार्थियों ने लगभग 50 शोध पत्र प्रस्तुत किए। यह राष्ट्रीय सम्मेलन "आधुनिक कृषि: नवाचार और सततता के लिए लचीला भविष्य" पर आधारित रहा, जिसका आने वाले कृषि विविधताओं में लाभप्रद होगा।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. जयमाला, शोध और विकास निदेशक प्रो. बीरपाल सिंह, और कृषि संकाय के अधिष्ठाता प्रो. शैलेंद्र शर्मा, प्रो. एमेरिटस पी.के. गुप्ता, प्रो. एस.पी. सिंह, प्रो. जे.के. धाका, प्रो. मुकेश शर्मा, प्रो. प्रदीप चौधरी, प्रो. अनिक माइक, प्रो. पुरुषोत्तम, प्रो. आकाश, प्रो. राजेन्द्र सिंह, प्रो. विजय मलिक, प्रो. विजय कुमार उमराव, प्रो. एस.एस. गौरव, प्रो. धर्मेन्द्र प्रताप, डॉ. पवित्र देव, डॉ. विनय पंवार उपस्थित रहे।
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