के.एल. इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य ने मेरठ महोत्सव में पैनल डिस्कशन में निभाई सक्रिय भूमिका
मेरठ।मेरठ की कला, संस्कृति, संस्कारों को दर्शाते हुए आयोजित मेरठ महोत्सव में पैनल डिस्कशन के अंतर्गत विद्यालय के प्रधानाचार्य सुधांशु शेखर ने निपुणता की ओर एक नई शिक्षा यात्रा विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि निपुणता केवल बाहरी सफलता तक सीमित नहीं है बल्कि यह व्यक्ति के भीतरी विकास से जुड़ी हुई है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां व्यक्ति अपने डर और सीमाओं को पार करता है तथा अपनी गलतियों से सीखता हुआ आगे बढ़ता है।
इसके अंतर्गत न केवल हमें क्या करना है? कैसे और क्यों करना है? इसका सही निर्णय भी ले पाता है। यह वह कला है जिसके अंतर्गत हम जीवन को एक सार्थक और उद्देश्य पूर्ण तरीके से जीना सिखाते हैं। यह चर्चा न केवल एक पहल है बल्कि सम्पूर्ण शिक्षा में व सामुदायिक विकास और शासन में क्रांति लाने का एक मिशन है।
इसके अंतर्गत उन्होंने प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की CEO रुक्मिणी बैनर्जी से इस विषय पर प्रश्न करते हुए पूछा कि आपको क्या लगता है कि कौन सी कक्षा बच्चों के लिए सबसे खास होती है ? किस कक्षा में वे सबसे ज्यादा सीखते हैं और आपकी शिक्षा और करियर की यात्रा में ऐसा क्या खास अनुभव रहा जिसने आपको शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरणा दी । इसके बाद उन्होंने ग्लोबल टीचर प्राइज़ से सम्मानित श्री दीपक नारायण नायक जी से प्रश्न करते हुए पूछा कि Teacher of the Street का खिताब आपके लिए क्या मायने रखता है तथा शिक्षा को जीवन बदलने का माध्यम बनाने हेतु आपको प्रेरणा कहां से मिली खासकर जब आपने गांव की गलियों को क्लासरूम और दीवारों को ब्लैक बोर्ड में बदल दिया?
साथ ही साथ उन्होंने समग्र फाऊंडेशन के वाइस प्रेसिडेंट अंकित गोयल जी से भी प्रश्न करते हुए कहा कि शासन केवल नीतियों का मामला नहीं है बल्कि उन नीतियों को जीने वाले लोगों का मामला है ,आप इस दृष्टिकोण को निपुण भारत जैसी पहल में कैसे लागू करते हैं और इस विश्वास को आकार देने वाले आपके व्यक्तिगत अनुभव कौन-कौन से रहे हैं ?
इस चर्चा के अंत में सुधांशु शेखर ने आज के परिवेश में निपुणता की और एक नई शिक्षा यात्रा के महत्व को बताते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
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