किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा
इलमा अजीम
आज किसानों के हिमायती पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती मनाई जा रही है। आज के दिन हर वर्ष नए थीम को घोषित कर उस पर काम किया जाता है। सरकार कृषि और किसानों के लिए बहुत सी स्कीमों को ला रही है, परंतु फिर भी किसानों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। किसानों को उनके उत्पादन का बहुत कम हिस्सा प्राप्त होता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार किसान भारत में फलों और सब्जियों में एक-तिहाई विक्रय मूल्य प्राप्त करते हैं। थोक और परचून विक्रेता दो-तिहाई हिस्सा ले जाते हैं। किसानों का हिस्सा टमाटर, प्याज और आलू पर 33, 36 और 37 प्रतिशत क्रमश: रह जाता है। बहुत बार तो किसान लागत के बराबर मूल्य न मिलने पर अपनी फसलों को सडक़ों पर फेंक देते हैं।
यह सब कुशल आपूर्ति शृंखला एवं विपणन प्रणाली के न होने, फसलों की नाशवान प्रवृत्ति, भंडारण सुविधाओं की कमी तथा बहुत संख्या में बिचौलियों के होने के कारण है। इसलिए भारत में किसान बार-बार धरना-प्रदर्शन तथा आत्महत्याएं कर रहे हैं। भारत में 2014 से 2022 तक 100473 किसानों ने आत्महत्या की है। इसलिए यह भी आवश्यक है कि इस दिन किसानों के स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए किसानों के आत्महत्या करने के कारणों का पता लगा कर, उन पर कार्य करना चाहिए। भारत को समृद्ध बनाना है तो किसानों और कृषि मजदूरों को समृद्ध करना होगा।
इसके लिए जो स्कीमें वर्तमान में किसानों/कृषि क्षेत्र के लिए चल रही हैं, उनमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये किसानों तक पहुंचनी भी चाहिए। अगर इनमें रिसाव है तो उसे रोकना चाहिए। इसके अतिरिक्त बहुत से फैसले लेने तथा उनका दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है जिनमें सभी फसलों, सब्जियों, फलों पर गारंटीकृत न्यूनतम सर्मथन मूल्य, ऋण माफी, भूमि सुधार, कम दरों पर उत्तम किस्म के बीज, खाद, कीटनाशक देना, सभी फसलों, सब्जियों व फलों को बीमा योजना के अंतर्गत लाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदा, अन्य कारणों से हुए नुकसान की किसानों को भरपाई हो सके। दूध आदि का भी सर्मथन मूल्य घोषित हो।
ग्रामीण इलाकों में सहकारी समितियों के गठन पर जोर दिया जाए तथा इनकी कार्यप्रणाली पारदर्शी की जाए। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने तथा फसलों में गुणवत्ता लाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाए। 2047 का विजन प्राप्त करना है, तो न्यूट्रीशियस/पौष्टिक खाद्य पदार्थों को प्राप्त करने के लिए फल/सब्जियों/अनाज का प्रसंस्करण कर निर्यात को बढ़ावा देना होगा। किसानों की आर्थिकी तथा कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए किसानों से संवाद होना चाहिए।
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