पहले विभाग में सेवा की अब 6 माह से पेंशन के काट रहा चीफ फार्मासिस्ट
मेरठ । तमाम प्रयास के बाद सरकारी विभागों से भ्रष्टाचार समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग की सीजीएचएस से चीफ फार्मासिस्ट के पद से रिटायर हुए एक व्यक्ति अपनीपेंशन के कार्यालय के 6 माह से चक्कर काट रहा है। इसके बाद भी उसकी पेंशन नहीं मिल पायी है। उन्होने विभाग के कर्मचारियों पर3 लाख रूपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है।
जून 2024 में रिटायर हुए आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट एन.डी. त्रिपाठी के पेंशन मामले ने विभाग में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। रिटायरमेंट के छह महीने बाद भी उन्हें पेंशन नहीं मिल पाई है। इस मामले में विभाग के दो कर्मचारियों योगेंद्र चौहान और लवेश सोलंकी पर रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं। रिटायर्ड फार्मासिस्ट एन.डी. त्रिपाठी ने जब पेंशन की देरी के बारे में सी.जी.एच.एस.कार्यालय में पूछताछ की, तो डीलिंग हैड योगेंद्र चौहान ने बताया कि उनके कागजात अधूरे हैं। पीड़ित का आरोप है कि इस अधूरे कागजात को पूरा करने के नाम पर योगेंद्र चौहान और लवेश सोलंकी ने उनसे तीन लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। इन कर्मचारियों पर आरोप है कि वे फाइलों से महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर देते हैं और बाद में उन्हें पूरा करने के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं। यह केवल एक मामला नहीं है; विभाग में ऐसे कई अन्य पेंडिंग मामले हैं। योगेंद्र चौहान और लवेश सोलंकी पर पहले से ही आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। आरोप है कि दोनों वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं। इसके बावजूद, इन्हें विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर बनाए रखा गया है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इन कर्मचारियों का पिछले 10 वर्षों से ट्रांसफर नहीं हुआ है।
पीड़ित कि मांग है कि इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच किसी सक्षम एजेंसी से कराई जाए। विभाग में ऐसे अन्य पेंडिंग मामलों की भी समीक्षा हो। रिश्वत मांगने वाले कर्मचारियों को तुरंत निलंबित कर, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इनके पुराने आपराधिक रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए कानूनी प्रक्रिया तेज की जाए। उच्च अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि बिना उनकी सहमति के इतने लंबे समय तक भ्रष्टाचार संभव नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की प्रक्रियाओं को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाए। ट्रांसफर और पोस्टिंग में सख्ती और ईमानदारी बरती जाए। मेरठ स्वास्थ्य विभाग का यह मामला केवल एक विभागीय समस्या नहीं है, बल्कि यह शासन प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार की व्यापकता को उजागर करता है। अगर इस पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह समाज के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है।
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