बढ़ती महंगाई तोड़ती जनता की कमर
 इलमा अजीम 
केंद्रीय बैंक व सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद, देश में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के चलते खुदरा मुद्रास्फीति पिछले चौदह महीनों की ऊंचाई पर जा पहुंची हैं। खुदरा महंगाई में यह वृद्धि सब्जियों,फलों, वसायुक्त वस्तुओं व तेलों की कीमतों में तेजी की वजह से हुई है। जो कि भारत की खाद्य आपूर्ति शृंखला में व्याप्त गहरी संरचनात्मक चुनौतियों का खुलासा करती है। साथ ही स्थिति में सुधार के लिये अविलंब सरकारी हस्तक्षेप की जरूरत को बताती है।

 निश्चित रूप से अक्तबूर की खाद्य मुद्रास्फीति दर का इस साल सबसे अधिक 10.87 फीसदी होना नीति-नियंताओं के लिये चिंता का विषय होना चाहिए। वहीं दूसरी ओर यह बढ़ती महंगाई एक महत्वपूर्ण संकेत भी देती है कि अस्थिर खाद्य कीमतें देश की संपूर्ण आर्थिक स्थिरता को कैसे बाधित कर सकती है। विशेष रूप से टमाटर और तेल जैसी वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी, कुछ प्रमुख वस्तुओं और आयात की जाने वाली चीजों पर देश की निर्भरता हमारी कमजोरी को ही दर्शाती हैं। हमें गंभीरता से विचार करना होगा कि ग्लोबल वार्मिंग प्रभावों से सब्जियों के उत्पादन व आपूर्ति को कैसे सुरक्षित करें। ऐसे वक्त में जब कृषि उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव नजर आया है, हमें मौसम के चरम में बेहतर उत्पादन देने वाली सब्जियों व अन्य फसलों की उन्नत किस्में तैयार करनी होंगी। साथ ही बेहतर भंडारण सुविधाएं जुटानी होंगी। जिससे बिचौलियों की मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाकर कृत्रिम महंगाई को रोका जा सकेगा।



 हम व्यावहारिक आयात रणनीति को अपनाते हुए सब्जियों व फलों के आपूर्ति पक्ष को मजबूत करें। कालांतर ये प्रयास खाद्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में मददगार होंगे। हमें औद्योगिक उत्पादन में भी तेजी लाने की जरूरत है ताकि लोगों की आय बढ़ने से क्रय शक्ति में इजाफा हो। हालांकि, सितंबर में औद्योगिक उत्पादन में तीन फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन यह आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं है। 


तीव्र आर्थिक विकास के लिये मुद्रास्फीति के दबावों से उबरने की आवश्यकता है। इसके लिये कृषि उत्पादन व औद्योगिक प्रदर्शन में तेजी लाने की भी जरूरत महसूस की जा रही है। वहीं दूसरी ओर वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं के बीच सरकार को घरेलू उत्पादन क्षमताओं में वृद्धि करने के प्रयास करने चाहिए। जिससे हमें आपूर्ति शृंखला को अनुकूल बनाने में मदद मिल सके। साथ ही खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी जरूरी है। 

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