प्रदूषण का बढ़ता खतरा: स्ट्रोक के मामलों में बढ़त
मेरठ।हवा प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। यह न केवल साँस लेने और दिल संबंधी समस्याओं को बढ़ाता है, बल्कि अब स्ट्रोक जैसी जानलेवा रोग से भी इसका सीधा संबंध पता चल रहा है । खासकर उत्तर भारत में सर्दियों के महीनों के दौरान जहरीली हवा दिल्ली-एनसीआर में इस खतरे को और बढ़ा रही है।
स्ट्रोक तब होता है, जब दिमाग का ब्लड सप्लाई रुक जाता है या ब्रेन हेमरेज हो जाता है। जहरीली हवा में मौजूद पीएम 2.5 और नाइट्रोजन डाईऑक्साइड जैसे छोटे कण नसों की दीवारों को कमजोर करते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और नसों में ब्लॉकेज या हेमरेज का खतरा बढ़ता है। रिसर्च के अनुसार, लंबे समय तक खराब हवा में रहने वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा सामान्य से 20-30% अधिक होता है।
डॉ. अमित श्रीवास्तव, डायरेक्टर और न्यूरोलॉजी विभाग प्रमुख, यथार्थ हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा, ने कहा "प्रदूषण का असर अब सिर्फ फेफड़ों और दिल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिमाग पर भी असर डाल रहा है। जहरीली हवा में मौजूद छोटे कण और हानिकारक केमिकल्स नसों में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ाते हैं, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। समय पर सावधानी और सही जानकारी ही इससे बचाव का तरीका है।"
हर सर्दी में उत्तर भारत के शहर, जैसे दिल्ली-एनसीआर, जहरीले धुंध और खराब हवा की वजह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं। पराली जलाने, फैक्ट्रियों और गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का असर अस्पतालों में स्ट्रोक के मरीजों की संख्या में इज़ाफ़े के रूप में दिखता है। खासकर हाई ब्लड प्रेशर और दिल के रोग से पीड़ित लोग इस दौरान ज्यादा प्रभावित होते हैं।
बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और पहले से बीमार लोग इस समस्या से सबसे ज्यादा खतरे में हैं। गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण का असर मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। डॉक्टर मानते हैं कि प्रदूषण से शरीर में होने वाला ऑक्सीडेटिव तनाव धीरे-धीरे शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है, जो कभी-कभी स्थायी हो सकता है।
इस खतरे को कम करने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक कदम उठाने होंगे। बाहर जाते समय मास्क का इस्तेमाल करें, एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर नज़र रखें, और घर के अंदर की हवा साफ रखने के लिए एयर प्यूरीफायर लगाएं। संतुलित आहार, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स हों, जिससे शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है। साथ ही, नियमित स्वास्थ्य जांच और ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज पर नियंत्रण बनाए रखना जरूरी है।
सामूहिक प्रयासों में प्रदूषण कम करने के लिए सख्त नियम लागू करना, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना और पराली जलाने के विकल्प ढूंढना शामिल है। प्रदूषण न केवल आज का संकट है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा है। सही समय पर कदम उठाकर और जागरूकता फैलाकर हम इस गंभीर समस्या का समाधान कर सकते हैं।
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