पौराणिक गंगा मेला स्थल गढ़ की तरफ खिसक आया एक मील दूर

-मेरठ सेक्टर में पड़ाव डालने का स्थान काफी कम हुआ

हापुड़।पौराणिक गंगा मेला स्थल करीब एक मील गढ़ की तरफ खिसक आया है, जिसके चलते फसलों का कटान सुस्त रफ्तारी में होने से कच्चे रास्तों से लेकर गंगा किनारे बैरिकेडिंग जैसे जरूरी तैयारी अपेक्षित स्तर पर रफ्तार नहीं पकड़ पा रही हैं। 

बरसात के मौसम में इस साल कई बार उफान आने के साथ ही बाढ़ जैसी स्थिति बनने पर गंगा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया था, जिसके कारण गढ़ की साइड में गंगा की जलधारा ने बहुत बड़े स्तर पर भूकटान किया है। इसी के चलते खादर मेला स्थल करीब एक मील गढ़ क्षेत्र वाली साइड में खिसक आया है। जो जिला पंचायत विभाग के लिए बड़ी मुसीबत का कारण साबित हो रहा है। कई बार इंकार के बाद भी जिला पंचायत विभाग ने गंगा की जलधारा में बने रेतीला टापू पर आवागमन के लिए दो अस्थाई पुल तैयार करा दिए हैं। भूकटान होने के कारण मेरठ सेक्टर में गंगा किनारे वाले ऊबड़ खाबड़ जंगल को समतल करने में भी बड़ी दुश्वारी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि रेतीली ढांग होने से वे जेसीबी मशीन और मांझा लगाने वाले ट्रैक्टरों का बोझ नहीं संभाल पा रही हैं। तहसील प्रशासन के निर्देश पर हल्का लेखपालों समेत गन्ना, कृषि विभाग और चीनी मिल के कर्मचारी किसानों को समझाकर फसल की कटाई कराने का प्रयास कर रहे हैं, परंतु सिंभावली चीनी मिल चालू होने से पहले गन्ने को काटना किसान घाटे का सौदा मान रहे हैं। इसी के चलते अपेक्षित स्तर पर खेत खाली न होने के कारण मेले से जुड़ीं तैयारियों में उतनी तेजी आनी संभव नहीं हो पा रही है।

एक किलोमीटर से भी लंबा होगा मुख्य स्नान घाट, सभी सेक्टरों में बनेंगे स्नान घाट

खादर मेला स्थल के सदर संतर के सामने मुख्य स्नान घाट बनाने को लेकर तैयारी चल रही हैं, जबकि मेरठ, हापुड़ और दिल्ली सेक्टर के लिए भूमि चिन्हित करते हुए उनमें भी महिला बच्चों समेत श्रद्धालुओं की सुविधा को स्नानघाट बनाए जाने हैं। जिला पंचायत विभाग की अपर मुख्य अधिकारी आरती मिश्रा का कहना है कि सदर सेक्टर के सामने बनने वाले मुख्य स्नान घाट की लंबाई करीब एक किलोमीटर रहेगी, जबकि हापुड़ और मेरठ समेत दिल्ली सेक्टर में जरूरत के अनुसार अलग अलग स्थानों पर स्नान घाट तैयार कराए जाएंगे। ताकि एक ही स्थान पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा न हो पाए।

बैरिकेडिंग में नहीं आ रही कोई तेजी

मेला क्षेत्र में एक से दूसरे सेक्टर को आने जाने के लिए कई मील लंबाई में कच्चे रास्ते बनाए जा रहे हैं, परंतु संबंधित ठेकेदार जिला पंचायत विभाग के तयशुदा मानकों की खुलेआम धज्जी उड़ाकर खूब मनमानी कर रहे हैं। क्योंकि फूंस, कबाड़, झाऊ आदि का अपेक्षित स्तर में इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। अधिक गहराई, तेज बहाव और भूकटान वाले जिन स्थानों पर श्रद्धालुओं के प्रवेश को वर्जित किया हुआ है, उनमें खाई खोदना तो दूर बल्कि बैरिकेडिंग कराने में भी खूब मनमानी हो रही है। डीएम और एसडीएम ने मशीनों के द्वारा बैरिकेडिंग कराए जाने का निर्देश दिया हुआ है, परंतु ठेकेदार अपनी लेबर से ही बल्लियां गढ़वाने का कार्य कर रहा है।

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