भारतीय होने के लिए संस्कृत भाषा को अपनाना होगा

विवि  में व्यास समारोह की शुरुआत, औघड़नाथ मंदिर से बैंड-बाजे और संस्कृत श्लोकों के साथ निकली यात्रा

यात्रा के मुख्य यजमान कैंट विधायक अमित अग्रवाल रहे

मेरठ। चौधरी चरण विवि   में रविवार से 7 दिवसीय व्यास समारोह की शुरुआत हो गई। औघड़नाथ मंदिर से बैंड-बाजे और संस्कृत श्लोकों के साथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। यहां से यात्रा सेंट जोजफ चर्च, छतरी वाले पीर से होते हुए प्यारेलाल शर्मा स्मारक होते हुए सूरजकुंड पहुंची यहां हवनकुंड से मिट्टी कलश में रखी गई। यात्रा के मुख्य यजमान कैंट विधायक अमित अग्रवाल रहे। इस दौरान छात्रों को बताया कि यह भीम-दुर्योधन की युद्ध भूमि है। यहां की मिट्टी विजय की सूचक है, इसीलिए यह कलश में रखी जाती है। बाबा मनोहर नाथ मंदिर में अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करने के बाद सभी विश्वविद्यालय पहुंचे।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास बरखेडी ने कहा- हम भारतीयों का जन्म केवल स्वभोग के लिए नहीं अपतिु राष्ट्र की उन्नति और विश्व कल्याण के लिए हुआ है। संस्कृत केवल भाषा नहीं, अपितु आध्यात्मिक रूप में भारत की अखण्डता का सूत्र है। राज्यों की भाषा तो राज्यों पर आधारित है, किंतु समस्त भारतीयों की भाषा भारती अर्थात संस्कृत है। ऐसे में भारतीय होने के लिए हमें अपनी भाषा संस्कृत को अपनाना होगा। 

विशिष्ट अतिथि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विवि वाराणसी के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने छन्दोबद्धवाणी में भारत के गौरव का वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार के विचार वाले व्यक्ति भारतीय होने के अधिकारी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि महर्षि वेद व्यास भारतीय परम्परा के सबसे बड़े इतिहासकार रहे।उनके द्वारा रचित वांग्मय से ही भारत के प्राचीन इतिहास को जाना जा सकता है।

विशिष्ट अतिथि ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर ने अपने स्वागत भाषण में संस्कृत के विस्तार की दिशा में अधिक से अधिक प्रयास करने पर बल दिया। व्यास समारोह की पूर्व संयोजयत्री डॉ. पूनम लखनपाल ने छन्दोमयी मधुर वाणी समारोह के इतिहास को बताया। उद्घाटन सत्र के अंत में आचार्य वाचस्पति मिश्र ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. संतोष कुमारी ने किया।



व्यास समारोह में आयोजन-निदेशक के रूप में हिन्दी विभागाध्यक्ष नवीन लोहनी, कार्यक्रम के समन्वयक आचार्य वाचस्पति मिश्च मंच पर मौजूद रहे। आचार्य सुधाकराचार्य त्रिपाठी ने पञ्चचामर छन्द में समारोह का शुभारंभ किया।प्रो. दीप्ति बंसल ने संगीत संध्या पर प्रस्तुति दीसमारोह के दूसरे सत्र में दिल्ली के दौलतराम पीजी कॉलेज के संगीत विषय की विभागाध्यक्ष प्रो. दीप्ति बंसल एवं मनस्वनी वंसल ने छन्दोबद्ध राग एवं ताल में संगीत संध्या की प्रस्तुति दी।समारोह में डॉ. राजबीर, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. ओमपाल सिंह, डॉ. विजय बहादुर, तुषार गोयल, डॉ. सुमित, डॉ. हरिदत्त शर्मा, डॉ. विजय नारायण, साहिल तरीका, डॉ. रक्षिता, सृष्टि, अंशिका, वैशाली, शिवानी, अदिति, टीना, प्राची, प्रताप, अनुज, सुमित, मोहित, विष्णु, आयुषी, सुमित और बबलू का योगदान रहा।

समारोह के पहले दिन शोभायात्रा का आयोजन हुआ। दूसरे दिन अंतर महाविद्यालय संस्कृत वाद-विवाद प्रतियोगिता, भागवत पुराण शोध संगोष्ठी और योग बल प्रदर्शन होगा। तीसरे दिन शाम को पौराणिक कथा और कवि समवाय का आयोजन भी जाएगा। चौथे दिन कालीचरण पौराणिक स्मृति व्याख्यान होगा। भागवत पुराण शोध पत्रों का वाचन किया जाएगा। संस्कृत के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। पांचवें और छठे दिन भी पौराणिक कथा पर आधारित कार्यक्रम और कवि समवाय होंगे। सातवें और अंतिम दिन समापन और पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया जाएगा।

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