संविधान दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन 

मेरठ।  संविधान दिवस के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन विषय  ”हमारा संविधान हमारा सम्मान” पर विधि अध्ययन संस्थान, चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन संस्थान के समन्वयक डा. विवेक कुमार  द्वारा माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया गया। 

कार्यक्रम में आशीष कौशिक सहायक आचार्य ने कहा कि मानवीय गरिमा का अर्थ है कि मनुष्य के जीवन का अधिकार का अंतर्निहित मूल्य है और इसलिये वह सम्मान के योग्य होता है। जीवन के अधिकार भारतीय संवधिान के अनुच्छेद 21 की व्याख्या करते हुए बताया कि मेनका गाँधी बनाम भारत संघ में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 को एक नई दिशा दी और कहा कि जीने का अधिकार केवल एक मौलिक अधिकार नही बल्कि इसमें मानवीय गरीमा के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है और उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2011 में अरूणा शांबाग मामले में नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकार के साथ गरिमापूर्ण मृत्यु का भी अधिकार शामिल है। वक्ता ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 75वीं संवैधानिक वर्षगाँठ का विषय हमारा संवधिान हमारा सम्मान रखा है। जिससे की संविधान का प्रचार प्रसार आम नागरिको तक ज्यादा से ज्यादा किया जा सकें।   

कार्यक्रम में डॉ. विकास कुमार सहायक आचार्य ने संवधिान दिवस पर संविधान संशोधन एवं अनुसूचियों के महत्व की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी संविधान संशोधन के प्रावधान को राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक माना। उन्होंने संवधिान संशोधन की प्रक्रिया के बारे में बताया । साथ ही साथ भारत की न्यायिक प्रणाली को शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ से लेकर गोलकनाथ, केशवानन्द भारती एवं आई आर. कोहलो वाद के माध्यम से समझाया जिनके द्वारा संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन किये गये जिसमें शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा भी शामिल है। उन्होंने संविधान की 12 अनुसूचियों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

डॉ. अपेक्षा चौधरी आचार्य ने कहा कि 9 दिसम्बर, 1946 संविधान सभा की पहली बैठक दिल्ली के संविधान हाल में हुई। संविधान का जो स्वरूप आज हम देखते है, वह संविधान सभा के सदस्यों के अथक प्रयासों का परिणाम है। संविधान सभा की महत्वपूर्ण समितियां जैसे प्रारूप समिति, प्रक्रिया के नियमो की समिति, मौलिक अधिकार की उप समिति, राज्य समिति, मौलिक अधिकारो की सलाहकार समिति आदि के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रक्रिया के  नियमो की समिति जिसके अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान सभा में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह वह समिति थी जिसने यह बताया कि संविधान सभा के नियम क्या होंगे तथा इसके सदस्यों का प्रवेश व पद से त्याग-पत्र, वेतन और भत्ते किस प्रक्रिया से तय किये जायेगें। मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यक एवं जनजाति व प्रतिबंधित क्षेत्र पर सलाहकार समिति का गठन 24 जनवरी, 1़947 को हुूआ। इस समिति में अपने कार्य को सूचारू रूप से चलाने के लिए पाँच उपसमितियों का गठन किया। प्रान्तीय संविधान समिति ने सरदार बल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में राज्यपाल के चुनाव के लिए निर्वाचक मण्डल की संरचना पर चर्चा की। संविधान सभा के 8 मुख्य समितियों में से एक प्रारूप भी समिति थी। जिसके अध्यक्ष डा. भीम राव अम्बेडकर थे। वर्तमान सरकार ने अम्बेडकर की 125 वीं वर्षगाँठ पर कानून दिवस का नाम 2015 में बदलकर संविधान दिवस घोषित कर दिया है। जिसका सम्मान करना सभी भारतीय का पहला कर्त्तव्य है।

डॉ. महिपाल सहायक आचार्य ने कहा कि संविधान के ऐतिहासिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे प्लासी एवं बक्सर के युद्ध के पश्चात अंग्रेजों का आधिपत्य हुआ तथा बंगाल, बिहार व उडीसा जैसे बड़े क्षेत्रों को नियन्त्रित करने हेतु 1773 में रेगूलेटिंग एक्ट लाया गया जिसके अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। तत्पश्चात भारत सरकार अधिनियम 1857 की क्रांति के परिणाम स्वरूप लाया गया, जिसका उद्देश्य ऐसी विधियों को बदलना था जो 1857 की क्रान्ति का कारण बनी। तत्पश्चात् भारतीय परिषद अधिनियम 1861 व 1909 लाया गया। इसके पश्चात् भारत सरकार अधिनियम 1919 व 1935 लाया गया जिसमें 1935 अधिनियम संविधान की आधारशीला बना। इसी के अन्तर्गत भारत में 1937 के प्रथम चुनाव कराये गये तथा भारत की प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखी गयी। इसके अतिरिक्त वक्ता ने संविधान में जोड़े गये विभिन्न भागों व अनुच्छेदो के स्रोतों का वर्णन किया।  

कार्यक्रम में संस्थान के समन्वयक डा. विवेक कुमार  ने कहा कि आज के दिन 26 नवम्बर, 1949 को मातृ विधि स्वीकार की गई। संविधान सभा के सभी सदस्यों के सहयोग एवं योगदान की सराहना करते हुए बाबा साहेब अम्बेडकर की संविधान निर्माण में सबसे अहम भूमिका रही है और बताया कि यह संविधान ही जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है।  

 डा. सुदेशना सहायक आचार्य ने मंच पर उपस्थित प्राध्यपकगणों एवं उपस्थित समस्त छात्र-छात्राओं को उद्देशिका पढ़कर संवधिान दिवस की शपथ दिलायी। कार्यक्रम का संचालन डा. मीनाक्षी ने किया। निर्णायक मण्डल ने प्रतियोगिताओं का परिणाम घोषित किया जिसमें भाषण प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों में प्रथम स्थान ज्योति शर्मा (बी.ए.एलएल.बी. सप्तम सेमेस्टर), द्वितीय स्थान रिमांशी शर्मा ( बी.ए.एलएल.बी. प्रथम सेमेस्टर ) एवं तृतीय स्थान अरीशा (एलएल.एम. प्रथम सेमेस्टर) ने प्राप्त किया तथा निबन्ध लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों में प्रथम स्थान ज्योति चौहान (एलएल.बी. तृतीय सेमेस्टर), द्वितीय स्थान तनिशा त्यागी (एलएल.बी.) एवं तृतीय स्थान तनु चौधरी (एलएल0बी.) ने प्राप्त किया।कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डा. कुसुमा वती सहायक आचार्य ने किया। कार्यक्रम में डा. धनपाल, डा. शैख अरशद, उपासना, श्री सोहन वीर व संस्थान के छात्र-छात्रायें उपस्थिति रहें।

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