राष्ट्रवादी विचारधारा भारत को अखण्ड बनाएगी - डॉ.अतुल कृष्ण
उन्मुक्त भारत द्वारा हुआ चरित्र शाला कार्यक्रम का आयोजन
मेरठ। उन्मुक्त भारत एनजीओ द्वारा देश के विद्यार्थियों में राष्ट्रवादी भावना को रोपित करने हेतु चलाए जा रहे चरित्र शाला अभियान का आयोजन बालेराम ब्रजभूषण सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज, शास्त्री नगर मेरठ में किया गया। जिसमें सुभारती समूह के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण ने विद्यार्थियों को देश के वास्तविक इतिहास से रूबरू कराते हुए राष्ट्र चरित्र निर्माण हेतु प्रेरित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ वंदे मातरम गायन से किया गया।सुभारती समूह के संस्थापक राष्ट्रवादी डॉ. अतुल कृष्ण ने कहा कि बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के द्वारा आज ही के दिन वन्देमातरम लेखन किया गया साथ ही आज बिपिन चन्द्रपाल जो बाल गंगाधर तिलक के साथी थे, का जन्मदिवस भी है।
उन्होंने कहा कि भारत देश की माटी ने हमेशा से वीर बलिदानों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि हमारा देश विश्व की सबसे गौरवशाली संस्कृति वाला देश है, आज भारतीय संस्कृति के सामने पूरा विश्व नतमस्तक है।
उन्होंने विद्यार्थियों को चरित्र शाला कार्यक्रम से रूबरू करते हुए कहा कि देश की एकता, उन्नति एवं अखण्डता के साथ सौहार्द के भाव से एक दूसरे की सहायता करना हमारे अंदर राष्ट्र चरित्र निर्माण करता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि देश के वास्तविक इतिहास को उजागर किया जाए ताकि असंख्य वीर बलिदानियों के जीवन से प्रेरणा लेकर देशहित में कार्य किये जाए। उन्होंने कहा कि आज जिस प्रकार हम खुली हवा में आज़ादी के साथ सांस ले रहे है, यह सब देश के बलिदानियों की बदौलत है। हमें यह जानने की अत्यंत आवश्यकता है कि कोई भी आज़ादी थाली में परोस कर नही मिलती है, आज़ादी को हासिल करने के लिए हमेशा अपने खून की क़ुर्बानी देनी पड़ती है। जैसे नेताजी सुभाष चन्द्रबोस ने कहा था कि ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा‘। नेताजी के इस नारे का मतलब ही यहीं था कि आज़ादी भीख मांग कर या धरने पर बैठने से नही मिलेगी, बल्कि आज़ादी संघर्ष कर बलिदान देने से प्राप्त होगी।
उन्होंने कहा कि हमें अपने चरित्र को राष्ट्रीय चरित्र में परिवर्तन करना चाहिए हम अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, गुरुओं का सम्मान करते हैं, इस प्रकार हमें सैनिकों का भी सम्मान करना चाहिए जो महान क्रान्तिकारी हमको आजादी दिला चुके हैं, उस आजादी को सुरक्षित रखने का कारण केवल हमारे सैनिक है तो हम ऐसा क्या करें कि हम अपने सैनिकों को उचित सम्मान दें सकें। इसके लिए उन्होंने बताया कि यदि हम कहीं लाइन में खड़े हैं और हमारे पीछे कोई वर्दी मे सैनिक खड़े हैं, तो उनको हम वह अपना स्थान दें और उनके स्थान पर जाकर खड़े हो जाए हमें कहीं वर्दी में सैनिक दिखाई दें।जबकि उनसे हमारी कोई जान है ना पहचान है, हम उनको रोक कर जय हिंद बोलकर उनका अभिवादन करें। त्योहारों के मौके पर यदि हमारे आसपास सैनिकों के परिवार रहते हैं तो उनके घर पर उनको त्यौहार की शुभकामनाएं देने जाए। इस तरह से हम अपने चरित्र को राष्ट्रीय चरित्र में परिवर्तित कर सकते हैं।
अंत में डॉ. अतुल कृष्ण को प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार शर्मा ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अखंड भारत के राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ। विद्यार्थियों ने देशभक्ति के भाव से परिपूर्ण होकर जय हिंद के उदघोष किए। कार्यक्रम में 1500 विद्यार्थी एवं 150 शिक्षकों ने भाग लिया। इस अवसर पर अनिल अज्ञात, परवेज बशीर आदि की विशेष उपस्थिति रही।
No comments:
Post a Comment