झांसी मेडिकल बच्चा वार्ड आग प्रकरण
दर्द में डूबे अपने तलाशते रहे जिगर के टुकड़ों को
15 मिनट में इतनी तेजी से आग कैसे फैली ,सीएम ने 12 घंटे में मांगी रिपोर्ट
मनीक्षा त्रिपाठी
झांसी । झांसी मेडिकल कॉलेज के चिल्ड्रन वार्ड में शुक्रवार देर रात लगी आग में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। घटना के समय एनआईसीयू में 54-55 बच्चे मौजूद थे, जिनमें से अधिकांश को बचा लिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट तलब की है।
घटना की जांच के लिए कमिटी बना दी गई है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि महज पंद्रह मिनट में आग इतनी कैसे फैल गई कि बच्चों को निकाला नहीं जा सका?मेडिकल कॉलेज सूत्रों का कहना है कि वहां करीब 54-55 बच्चे थे उनमें से अधिकांश को बचा लिया गया। 37 बच्चों को सकुशल निकाल लिया गया।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक जताते हुए 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है। डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक घटनास्थल के लिए रवाना हो गए थे। उनके साथ प्रमुख सचिव स्वास्थ्य भी हैं। दिल दहलाने वाली इस घटना के पीछे की वजह क्या है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन शुरुआत तौर पर शॉर्ट सर्किट को जिम्मेदार बताया जा रहा है।इस हादसे में जो बच्चे झुलसे हैं उनमें तेजी से इन्फेक्शन फैलने की आशंका है। वहां मौजूद लोग मांग कर रहे थे कि इन बच्चों को झांसी की जगह लखनऊ मेडिकल कॉलेज में भेजा जाए। इनमें से कई बच्चे काफी झुलस गए हैं। अधिकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि करीब 16 बच्चे घायल हुए हैं।
एनआईसीयू में अति प्राथमिकता वाला वार्ड होता है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वहां आग बुझाने के पर्याप्त साधन नहीं थे। जिस समय आग लगी थी उस समय बहुत से तीमारदार अपने बच्चों के पास मौजूद थे। उन्हीं में से अधिकांश ने वहां भर्ती बच्चों को बाहर निकाला। ऐसे में वहां आग बुझाने की प्रभावी कोशिश क्यों नहीं हो पाई? फायर ब्रिगेड क्या समय पर नहीं पहुंच सकी? ऐसे तमाम सवालों का जवाब खोजा जाना बाकी है।झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में पास के जिलों और निकटवर्ती क्षेत्रों के बच्चे भर्ती थे। देर रात तक बच्चों के तीमारदारों में काफी गुस्सा था क्योंकि मरने वाले बच्चों की पहचान उजागर नहीं की गई थी। इन लोगों को यह पता नहीं था कि उनका बच्चा सुरक्षित है भी या नहीं।
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