विवि में चल रहा व्यास समारोह का समापन
चल वैजंती पर विवि ने किया कब्जा
मेरठ। चौधरी चरण विवि में चल रहा व्यास समारोह का शनिवार को समापन हो गया। व्याससमारोह का विभागीय समापन एवं सिंहावलोकन सत्र आयोजित किया गया। सत्र की अध्यक्षता पूरी से आये प्रो.विश्वनाथ स्वाईं एवं मुख्य अतिथि गोरखपुर से आई प्रो.छाया रानी तथा महाजगंज से आये डॉ.चन्द्रशेखर मिश्र सारस्वत अतिथि ने की । सर्वप्रथम कथावाचन कार्यक्रम में विभाग की छात्रा टीना ने विष्णु कथा, पारुल ने दशावतार कथा एवं प्रो.पूनम लखनपाल ने शिवस्तुति प्रस्तुत की तत्पश्चात अवशिष्ट विभागीय विभिन्न प्रतियोगिताओं के परिणाम घोषित करते हुए पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र वितरित किये गए। कथावाचन में प्रथम स्थान पर टीना, द्वितीय स्थान अंशिका व दिव्या संयुक्त रूप से रही और तृतीय स्थान पर सृष्टि रही। इसमें विशिष्ट स्थान पर डेजी रही।काली चरण पौराणिक स्मार्यित्री चल वैजयन्ती चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ परिसर स्थित संस्कृत विभाग को मिली। समारोह में कुल 15 शोध पत्र प्रस्तुत किये गए। सारस्वत अतिथि डॉ.चन्द्रशेखर मिश्र ने विगत व्याससमारोह का सिंहावलोकन करते हुए बताया कि उन्होंने इसी व्याससमारोह में आकर स्वयं छन्दोमयी रचना करनी सीखी है जो साक्षात् व्यास का वरदान है। मुख्य अतिथि प्रो.छाया रानी ने अपने अनुभव से व्याससमारोह को जोड़ते हुए बताया कि यह समारोह समाज को संस्कृत एवं संस्कृति से जोड़ने वाला ऐसा उदाहरण है जो देखने को बहुत कम मिलता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.विश्वनाथ सवाईं ने व्याससमारोह की अपने साथ चलने वाली सतत् यात्रा का उल्लेख करते हुए इसकी निरंतरता के लिए विभाग एवं आयोजको को साधुवाद दिया।
बता दें कि प्रो.विश्वनाथ सवाईं व्याससमारोह के आयोजन के प्रारम्भ काल से ही इसमें लगातार सम्मिलित होते हुए आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि व्यास साहित्य का अध्ययन मानव जीवन को श्रेष्ट बनाने में सहायक है। वास्तविक मानव कल्याण के लिए इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से व्यास साहित्य का व्यापक प्रचार प्रसार होना चाहिए। प्रो.सुधाकराचार्य त्रिपाठी ने सभी अतिथियों एवं छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया।व्याससमारोह में उपस्थित विद्वानों ने अग्रिम वर्ष के व्याससमारोह की तिथि एवं कार्यक्रम का प्रस्ताव संयोजन एवं प्रबन्ध समिति के समक्ष रखने का निर्णय लिया। प्रस्ताव में आग्रह किया गया कि व्याससमारोह प्रतिवर्ष की भांति 2025 में भी 23 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक मनाया जाना चाहिए एवं अग्रिम समारोह हेतु ग्रन्थ श्रीमद्भागवत पुराण एवं उसके छन्द को कार्यक्रम का मुख्य विषय (थीम) बनाया जाए एवं समारोह का एक भाग ऐतिहासिक स्थल हस्तिनापुर में भी मनाया जाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ संतोष कुमारी ने किया। डॉ.नरेन्द्र कुमार ने अग्रिम वर्ष के समारोह में केवल भारत वर्ष ही नही अपितु विदेशो से भी संस्कृत अनुरागियों को जोड़ने के लिए क्रमबद्ध प्रयासों पर बल दिया। समन्वयक प्रो.वाचस्पति मिश्र ने आगंतुक अतिथियों से समारोह में किसी भी प्रकार के कष्ट के लिए व्यक्तिगत रूप से क्षमायाचना की। कार्यक्रम में डॉ.राजवीर, डॉ.ओमपाल, डॉ कुलदीप तोमर, डॉ.विजय बहादुर, हेमंत, उज्जवल स्याल,मनीषा, रूबी, तुषार गोयल, डॉ.निशि, सतेंद्र मोहन, साहिल तरीका, शिवानी, शुभम, सृष्टि, अंशिका,आयुषी, साक्षी, तरुण, मोहित, आकाश शर्मा, इशिका, विष्णु, राजदीप, विपिन, अभिषेक, तरुण, सुमितशर्मा, बबलू आदि का सहयोग रहा ।
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