शोभित विवि में वाद-विवाद प्रतियोगिता

महिलाओं के संघर्ष ने समाज में उनके सशक्तिकरण की नींव रखी – रीता बहुगुणा जोशी 

मेरठ। शोभित विवि में अखिल भारतीय हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति द्वारा स्व. कमला बहुगुणा  की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में "क्या भारत में महिलाओं को आरक्षण देने से वास्तविक समानता हासिल की जा सकती है?" विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में विवि के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसे मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, कुलाधिपति  कुंवर शेखर विजेंद्र, राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र शर्मा, कुलपति प्रोफेसर वी.के. त्यागी और कार्यक्रम संयोजक पी.के. गोयल, उप कुलसचिव रमन शर्मा, द्वारा संपन्न किया गया।



प्रोफेसर डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सांसद, ने अपने संबोधन में महिलाओं के संघर्षों की ऐतिहासिक यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "पहले के दौर में महिलाओं को अपने अधिकारों और समानता के लिए अनेक संघर्षों का सामना करना पड़ा था। उनका यह संघर्ष ही आज समाज में उनके सशक्तिकरण की नींव बना। आज हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि महिलाओं को समान अवसर मिलें और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण जैसे उपाय महत्वपूर्ण हैं।"

छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "देश के विकास में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए हमें समाज में जागरूकता लानी होगी। महिलाओं का सशक्तिकरण तभी संभव है जब उन्हें समान अवसर और सशक्त भूमिका दी जाए।"

कुलाधिपति  कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा, "महिलाएं समाज की परिवर्तनकारी शक्ति हैं। हमें उन्हें सशक्त बनाने के लिए अवसर देने होंगे, और यह तभी संभव होगा जब समाज में व्यापक जागरूकता और संवाद हो।"

इस वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजेता छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। शगुन चौहान (बीए.एलएल.बी, प्रथम वर्ष) ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि दीक्षा गौर (बीए ऑनर्स, गवर्नमेंट एडमिनिस्ट्रेशन, द्वितीय वर्ष) ने द्वितीय स्थान और कमल कांत (बीसीए, द्वितीय वर्ष) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। 

यह प्रतियोगिता न केवल महिलाओं के अधिकारों पर विचार-विमर्श का एक सशक्त मंच बनी, बल्कि युवाओं में सामाजिक जागरूकता और समानता की भावना को भी प्रोत्साहित किया।

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