सावधानी और बचाव से होगा डेंगू पर नियंत्रण
- डॉ. अशोक कुमार वर्माप्रति वर्ष वर्षा ऋतु के प्रारम्भ होने पर मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है और इतना ही नहीं यदि किसी बर्तन अथवा पात्र आदि में स्वच्छ जल कई दिनों तक रखा हो और वह खुला हो तो भी यह भय बना रहता है। इससे अनेक रोगों के पनपने का भय रहता है जैसे डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया आदि। यदि देखा जाए तो डेंगू से पीड़ित व्यक्ति के जीवन को इतना संकट नहीं है जितना कि इसका भय लोगों के मस्तिष्क पर बना दिया गया है। डेंगू बुखार एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से डेंगू वायरस के रूप में बढ़ता है। यह रोग अकस्मात तीव्र ज्वर के साथ आरम्भ होता है, जिसके साथ साथ तेज सिर दर्द होता है, मांसपेशियों तथा जोडों मे भयानक पीड़ा होती है। शरीर पर लाल चकते बन जाते है जो सबसे पहले पैरों पे फिर छाती पर तथा कभी कभी सारे शरीर पर हो जाते है। इसके अतिरिक्त पेट खराब हो जाना, उसमें दर्द होना, कमजोरी, दस्त लगना, ब्लेडर की समस्या, निरंतर चक्कर आना, भूख ना लगना भी इसके लक्षण हो सकते हैं। चिकित्सा शास्त्र के अनुसार ये ज्वर 6-7 दिन रहता है। ज्वर समाप्ति के समय फिर से कुछ समय हेतु ज्वर आता है। जब तक रोगी का तापक्रम सामान्य नहीं होता है तब तक उसके रक्त में प्लेटलेट की संख्या कम रहती है। विशेष बात है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं बढ़ता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुछ दशकों में संसार में डेंगू का प्रकोप बढ़ा है। जहां एक ओर वर्ष 2000 में डेंगू के 5 लाख 54 हजार 30 मामले सामने आए थे वहीं ये 2019 में बढ़कर 5.2 मिलियन हो गए हैं। वर्ष 2023 में डेंगू के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी क्षेत्रों के 80 से अधिक देश प्रभावित हुए। 2023 की बात करें तो डेंगू के 6.5 मिलियन से अधिक केस हुए हैं जिनमें 7300 से अधिक डेंगू से संबंधित मृत्यु हुई हैं।
राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर प्रकाशित लेख में बताया गया है कि भारत के पास उपस्थित सरकारी आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2023 में देश में डेंगू के कुल 94 हजार 198 केस सामने आए हैं। सबसे बड़ी बात यह रही कि केरल में 9 हजार 770 लोग डेंगू से ग्रस्त थे, कर्नाटक में 9 हजार 185 और महाराष्ट्र में 8 हजार 496 डेंगू से ग्रस्त पाए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय में आधिकारिक तौर पर अंकित की गई कुल 91 मौतों में से 37 मौतें केरल में और 14 मौतें उत्तराखंड में हुईं हैं। इसके साथ ही ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, असम और कुछ अन्य राज्य हैं जहां डेंगू के अधिकतम मामले सामने आए हैं।
डेंगू से बचने के लिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि डेंगू का मच्छर दिन के समय में काटता है। इसीलिए दिन में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। घर में एवं घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें, साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें। यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि आवश्यकता ना हो तो बर्तन खाली कर के उलटा कर के रख दें। कूलर का पानी प्रतिदिन बदलते रहें। यदि पानी की आवश्यकता ना हो तो कूलर आदि को खाली करके सुखाएं। खाली गमले और टायर आदि में पानी एकत्रित होकर मच्छर पनपने का संकट बना रहता है। इसीलिए उन्हें खाली करके उलटा करके रखना चाहिए। डेंगू का मच्छर घुटनों की ऊंचाई तक उड़ सकता है। सदा ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर के अधिकतम भाग को ढक सकें। पैरों में जुराब और जूते भी आवश्यक हैं। मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग मच्छरों के बचाव हेतु करें। घर की खिड़की आदि में तुलसी का पौधा लगाने से मच्छरों से बचाव होता है। नीम की सुखी पत्तियों एवं कपूर की घर में धूणी करने से मच्छर मर जाते हैं या कोने एवं पर्दों आदि के पीछे छिपे हुए मच्छर घर के बाहर भाग जाते हैं। पानी की टंकी को अच्छे से ढक कर रखें। तुलसी, गिलोय ,पिप्पली, पपीते की पत्तियों का रस, गेहूँ के ज्वारों का रस, आँवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बहुत उपयोगी है। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की शक्ति आती है। एक नया उपाय मेसोसाक्लोपस नामक जलीय कीट जो लार्वा भक्षी है को रुके जल में डाल देना है जैसे कि गम्बूशिया मछली मलेरिया के विरूद्ध प्रभावी उपाय है। यह बहुत अधिक प्रभावी, मितव्ययी तथा पर्यावरण मित्र विधि है।
यदि डेंगू का सही उपचार समय पर हो जाए तो इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। लोग डेंगू बुखार से संबंधित समाचारों से घबराएं नहीं अपितु निकट के सरकारी अस्पताल में उसकी जांच करवाएं। इसकी जांच और उपचार सर्वथा निशुल्क उपलब्ध है। डेंगू के लिए एलाइजा का प्रमाणित परीक्षण नागरिक अस्पताल में उपलब्ध होता है। यदि कोई निजी स्वास्थ्य संस्थान या चिकित्सक किसी मरीज को डेंगू बुखार बताता है तो उसके लिए नागरिक अस्पताल में उसकी पुन: जांच करवाएं क्योंकि बिना डेंगू के एंटीबायटिक दवाइया देने से शरीर में प्लेटलेट कम हो सकते हैं। लोग भ्रमित न हों और बुखार होने पर इसकी जांच नागरिक अस्पताल में ही करवाएं। इसीलिए डेंगू से भयभीत न हों और केवल सचेत रहकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। डेंगू से पीड़ित व्यक्ति को अधिक से अधिक विश्राम की आवश्यकता होती है। उन्हें चाहिए कि वे चिकित्सक से परामर्श लें और पूर्ण विश्राम करें।
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