शोध पद्धति के मूल सिद्धात पर कार्यशाला का आयोजन 

 मेरठ। विधि अध्ययन संस्थान, चौ. चरण सिंह विवि द्वारा एलएल.एम. के छात्र-छात्राओं के लिये “शोध पद्वति के मूल सिद्वांत” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। 
संस्थान के समन्वयक  डा विवेक कुमार ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि कानूनी शोध केवल तथ्यों का विवरण  नहीं है, बल्कि किसी कानूनी घटना की व्याख्या करने के लिए उद्देश्य पूर्ण जांच है। डा. सुदेशना ने कहा कि एक शोधकर्ता को खुले विचारों वाला और आत्म चिंतनशील होना चाहिए।  डा. कुसुमावति ने कहा कि शोध निष्कर्षो के आधार पर दावों को लेकर भी सर्तक रहना चाहिए। श्री आशीष कौशिक ने कहा कि विधिक शोध करते समय सबसे पहले शोधार्थी को विषय का चयन करते समय वर्तमान समय में विषय की प्रांसगकिता पर ध्यान देना चाहिए तथा उस शोध से समाज को क्या लाभ होगा इस बात पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए तथा एक शोधकर्ता के पास दृढ़ता और वैज्ञानिक सोच होनी चाहिए। डा॰ विकास कुमार ने कहा कि शोध एक बौद्धिक अभ्यास है जिसमें धीरज और धैर्य की आवश्कयता होती है। डा॰ अपेक्षा ने कहा कि शोध के सैद्धान्तिक व गैर सैद्धान्तिक तरीके पर प्रकाश डाला तथा शोध करने का उदद्ेश्य रूचि के क्षेत्र में मौजूदा ज्ञान में नया ज्ञान जोड़ना है। एलएल॰एम॰ के छात्र-छात्राओं ने भी भिन्न-भिन्न विषयों पर अपने विचार रखें तथा लघु शोध ग्रंथ को तैयार करने के संदर्भ में जानकारी प्राप्त की।  कार्यक्रम का कुशल संचालन डा॰ अपेक्षा चौधरी द्वारा किया गया। डा॰ सुदेशना ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में अनुभव वत्य, छवि त्यागी, दिक्षा, खुशबू, मोहिनी सैनी, अदीति वर्मा आदि उपस्थित रहे।

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