सृजन सरोकार के साही अंक का लोकार्पण

नई दिल्ली। साहित्यिक पत्रिका पत्रिका सृजन सरोकार का 40 साल बाद हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक एवं समाजवादी चिंतक विजय देव नारायण साही पर केंद्रित विशेषांक का धूमधाम से लोकार्पण किया गया।
इस अंक का विमोचन रजा फाउंडेशन के तहत दिल्ली के इंडिया इंटरनेशन सेंटर में वरिष्ठ कवि और संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी, कथाकार संपादक अखिलेश, साही की बेटी पूर्व आईएएस सुस्मिता साही और वरिष्ठ पत्रकार संपादक गोपाल रंजन के हाथों हुआ। पत्रिका दिल्ली से निकलती है, इसके कार्यकारी संपादक कुमार वीरेंद्र और संपादन सहयोगी अवनीश यादव हैं।
पत्रिका में कुमार वीरेन्द्र कार्यकारी संपादक और अवनीश यादव संपादन सहयोगी हैं। आवरण प्रसिद्ध चित्रकार अजय जैतली का है।
गौरतलब है कि प्रसिद्ध लेखक अशोक वाजपेयी ने साही जी के निधन के बाद 1984 में पूर्वग्रह का 65वां अंक साही जी पर केंद्रित किया था जिसका संपादन रमेश चन्द्र शाह ने किया था। विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने 1983 में दस्तावेज का साही अंक निकाला। इसके तकरीबन चार दशक बाद इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार व सृजन सरोकार के संपादक गोपाल रंजन ने साही जी पर अंक निकाला है।
इस अंक में धर्मवीर भारती और डॉक्टर नागेश्वर लाल, जगदीश गुप्त सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और कुंवर नारायण के ऐतिहासिक लेख फिर से छापे गए हैं। इसमें अशोक वाजपेयी का भी लेख है और साहीजी की बेटी सुष्मिता साही के तीन लेख हैं जो उल्लेखनीय हैं। भारती जी के लेख से पता चलता है कि सुमित्रानंदन पंत के निर्देशन में गुलेरी जी की अमर कहानी उसने कहा था पर नाटक हुआ जिसमें साही जी ने लहना सिंह की भूमिका निभाई और भारती जी ने वजीरा सिंह का रोल किया था। डॉक्टर रघुवंश ने बोधा सिंह का अभिनय किया और प्रकाश व्यवस्था जगदीश गुप्त और डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल ने की थी।
साही जी की बेटी के लेख से पता चलता है कि साही जी का पुकारने का नाम विजयी था और वह नजर नाम से गजलें भी लिखते थे। जगदीश गुप्त के साथ शतरंज खूब खेलते थे। साही जी के पुत्र देश के टॉप गणितज्ञ हैं जिन्होंने येल और बर्कले विश्वविद्यालय से दो बार गणित में पीएचडी की है। पत्रिका संग्रहणीय और खरीदने लायक है।

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