नियमित व्यायाम स्ट्रोक से न केवल बचाव करता है बल्कि पुनर्वास का साधन भी है
विश्व स्ट्रोक दिवस 2024 - 29 अक्टूबर - #ग्रेटर दैन स्ट्रोक एक्टिव चैलेंज
मेरठ।हर 40 सेकंड में देश में कोई न कोई स्ट्रोक से प्रभावित होता है, और हर चार मिनट में किसी की जान इस गंभीर स्थिति के कारण चली जाती है। इस साल, विश्व स्ट्रोक दिवस पर #GreaterThanStroke एक्टिव चैलेंज थीम के माध्यम से खेलों और शारीरिक गतिविधियों की भूमिका को स्ट्रोक रोकथाम और पुनर्वास में एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में मान्यता दी जा रही है। स्ट्रोक से संबंधित मृत्यु दर और दीर्घकालिक अपंगता की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, यह अभियान सक्रिय जीवनशैली को एक शक्तिशाली हथियार के रूप में प्रस्तुत करता है जो स्ट्रोक से बचाव के साथ-साथ पुनर्प्राप्ति में भी सहायक है।
स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह रुक जाता है – इस्केमिक स्ट्रोक में एक रक्त के थक्के के कारण या हेमरेजिक स्ट्रोक में रक्त वाहिका के फटने के कारण। इस अवरोध के चलते मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे कोशिकाओं की मृत्यु हो सकती है। इसका सीधा असर शरीर पर पड़ता है और इसके कारण शारीरिक विकलांगता, भाषण और स्मृति से जुड़ी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
इसलिए, "FAST" का संज्ञान लेना बहुत जरूरी है – Face (चेहरे का झुकना), Arm (हाथ में कमजोरी), Speech (बोलने में कठिनाई), और Time (तुरंत आपातकालीन सेवा को कॉल करना)। इन संकेतों को पहचानकर समय पर उपचार प्राप्त करना गंभीर विकलांगता और मृत्यु के जोखिम को कम कर सकता है।
यथार्थ सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल, ओमेगा 1 ग्रेटर नॉएडा में न्यूरोलॉजी विभाग के निदेशक एवं प्रमुखडॉ. अमित श्रीवास्तव ने बताया कि “स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में जीवनशैली एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शारीरिक गतिविधि हाई ब्लड प्रेशर, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और मोटापे जैसे स्ट्रोक के प्रमुख कारणों को कम कर सकती है। हफ्ते में कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली गतिविधि करने से हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है और स्ट्रोक का जोखिम काफी हद तक घटता है। स्ट्रोक से होने वाली मौतों और विकलांगता के जोखिम को कम करने के लिए लोगों में इस बारे में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है। जल्दी पहचान और समय पर इलाज ही एकमात्र उपाय है जिससे जान और जीवन की गुणवत्ता को बचाया जा सकता है।“
स्ट्रोक उपचार में पारंपरिक समय सीमा केवल 4.5 घंटे थी, जिसमें थ्रॉम्बोलिसिस और छह घंटे में मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी शामिल थे। लेकिन अब, नई चिकित्सा उपलब्धियों ने उपचार की समय सीमा को बढ़ाकर 24 घंटे कर दिया है। "पेनुम्ब्रा" नामक मस्तिष्क के उन हिस्सों की पहचान के लिए अब एडवांस्ड सीटी और एमआरआई तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो अभी भी क्षति के जोखिम में हैं।
डॉ. श्रीवास्तव ने आगे कहा कि "स्ट्रोक से बचाव में नियमित व्यायाम का अत्यधिक महत्व है, यह न केवल हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है बल्कि एक ऐसा सामुदायिक वातावरण भी प्रदान करता है जहां व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती के प्रति जिम्मेदार बनता है। स्ट्रोक के बाद शारीरिक गतिविधि सिर्फ एक निवारक उपाय नहीं बल्कि एक पुनर्वास का उपकरण भी है। मस्तिष्क की नई तंत्रिका संपर्कों को विकसित करने की क्षमता को "न्यूरोप्लास्टीसिटी" कहते हैं, और इसमें व्यायाम सहायक होता है। स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्ति के लिए व्यायाम उनके चलने-फिरने, संतुलन और ताकत में सुधार कर उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर ले जाता है।
यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने हाल ही में अपने न्यूरोसाइंसेज विभाग को अपग्रेड किया है, जिसमें वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, प्रशिक्षित स्पाइन सर्जन, और न्यूरो इंटेंसिविस्ट्स का पूरा दल शामिल है, जो विशेष न्यूरोलॉजिकल, सर्जिकल, न्यूरो इंटरवेंशन और न्यूरो क्रिटिकल केयर सेवाएं प्रदान करते हैं।
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