पोषण माह की तहत यूपीएचसी सूरजकुंड पर स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का आयोजन 

 मेरठ।  गुरूवार को मेडिकल काॅलेज के तत्वधान में यूपीएचसी सूरजकुंड पर  स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का आयोजन  कम्युनिटी मेडिसिन विभाग  द्वारा किया गया  । जिसमें स्वस्थ शिशु की माताओं को सम्मानित किया गया।        देश में प्रत्येक 100 बच्चों में से औसतन 32 बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं। इस समस्या से लड़ने के लिए सितंबर माह को पोषण माह की तहत मनाया जाता है। उपरोक्त विषय को ध्यान में रखते हुए शहरी स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र सूरजकुंड में स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिशुओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना और माता-पिता को शिशु स्वास्थ्य की महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करना था। कार्यक्रम में मुख्य रूप से 0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों का स्वास्थ्य मूल्यांकन जैसे वजन,ऊंचाई,पोषण स्तर,टीकाकरण की स्थिति और शारीरिक विकास का परीक्षण किया गया। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी बच्चों को स्वास्थ्य जांच के बाद उचित सलाह और मार्गदर्शन दिया गया।प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हिमांशु उम्र 3 वर्ष,द्वितीय स्थान पाखी उम्र 2.5 वर्ष एवं तृतीय स्थान उम्र 18 माह ने प्राप्त किया। उपरोक्त प्रतियोगिता के विजेताओं को उपहार भी प्रदान किए गए।उक़्त कार्यक्रम में जूनियर डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने बच्चों के सही पोषण टीकाकरण और साफ सफाई के महत्व पर विस्तारपूर्वक विशेष चर्चा की। उपरोक्त कार्यक्रम में डॉ नीलम गौतम ने  इस प्रकार की प्रतियोगिताओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि स्वस्थ शिशु ही स्वस्थ समाज की नींव है। इस प्रकार के कार्यक्रम से हम शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं व माता-पिता को सही जानकारी प्रदान कर सकते हैं। कार्यक्रम का आयोजन कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सीमा जैन के संरक्षण में किया गया। कार्यक्रम में डॉ रोशन, डॉ मोहित, डॉ शुभाली, डॉ आशीष, डॉ सिदरा, इंटर्न छात्र छात्राएं एवं समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।सूरजकुंड केंद्र पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता मंजू यादव ने सभी माताओं को स्तनपान एवं स्तनपान से होने वाले फायदे की जानकारी दी। प्राचार्य डॉ आरसी गुप्ता ने शहरी स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र सूरजकुंड पर आयोजित इस प्रतियोगिता की प्रशंसा करते हुए बताया कि यह प्रतियोगिता स्थानीय समुदाय के लिए एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ है और इससे शिशु स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है। 

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