कार्यबल में लैंगिक समानता
इलमा अजीम 
कोलकाता में एक रेजिडेंट डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर की घटना ने कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। यह घटना कई कारणों को संदर्भित करती है लेकिन एक महत्त्वपूर्ण कारक देश के कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी होना भी है। देश के आर्थिक विकास के साथ शहरीकरण बढ़ा है और महिला साक्षरता दर बढ़ रही है। महिलाओं के कौशल और कामकाज में उनकी सहभागिता बढ़ाने के सरकारी प्रयासों-यथा रोजगार योग्यता यानी कौशल दृष्टिकोण को विकसित करने, आर्थिक सशक्तीकरण और सामाजिक समर्थन के बावजूद, कार्यबल में महिला और पुरुषों की लैंगिक असमानता चिंता का मुद्दा बनी हुई है। 



आंकड़े गवाह हैं कि कार्यबल में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की भागीदारी लगभग तीन-चार गुना ज्यादा है। लैंगिक असमानता को संबोधित करने और कार्यबल में महिलाओं की सुरक्षित भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए जो नवाचार किए किए जा रहे हैं, उनको गंभीरता से आगे बढ़ाने की जरूरत है। भारत की जीडीपी में महिलाओं का आर्थिक योगदान 17 फीसदी है। यह वैश्विक औसत के आधे से भी कम है। सस्टेनेबल आर्थिक विकास, लैंगिक समानता और गरीबी में कमी लाने के लिए महिलाओं की आर्थिक भागीदारी महत्त्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित किया जाना महत्त्वपूर्ण है कि अवसरों तक पुरुषों के बराबर ही महिलाओं की पहुंच हो। उन्हें वेतन विसंगति का सामना न करना पड़े। विशेष रूप से महिलाओं के लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना जैसे नवाचार किए गए हैं। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरों में ज्यादा है। विश्व बैंक के सहयोग से चलाई जा रही आजीविका संवर्धन के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता (संकल्प) योजना का उद्देश्य ब्यूटी-वेलनेस और बुटीक जैसे क्षेत्रों में अल्पकालिक व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। यह पीएमकेवीवाइ जैसी कौशल प्रशिक्षण योजनाओं की पूरक योजना है।

 राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मुख्यधारा की शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत किया गया है। चुनौतियां कई हैं जिन्हें संबोधित करने की जरूरत है। महिला कार्यबल या एंटरप्रेन्योर को अपने व्यवसाय का प्रबंधन करते समय अवैतनिक श्रम यानी परिवारों के कामकाज में मदद करना और सुरक्षा मुद्दों समेत कई चुनौतियां का सामना करना पड़ता है। कम साक्षरता दर के चलते उन्हें अक्सर अधिक डिजिटल और तकनीकी कौशल की जरूरत महसूस होती है। महिला-स्वामित्व वाले व्यवसाय ज्यादातर घर से चलाए जाते हैं और छोटे आकार के होते हैं। ऐसे में पहुंच बनाने के लिए उन्हें बाजार और कौशल की जरूरत होती है। खासतौर पर ब्यूटी और वेलनेस क्षेत्र लैंगिक अंतर पाटने के लिए महत्त्वपूर्ण अवसर सुलभ कराता है। साथ ही कार्यबल में महिलाओं की सुरक्षित भागीदारी से देश के विकास और महिला सशक्तीकरण में भी मदद मिलती है।

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