सुभारती विवि में अल्पसंख्यक कोटे से एमबीबीएस में लिए 20 एडमिशन
डॉक्टर बनने के लिए बन गए थे बौद्ध, सुभारती विवि बोले उसका एडिमशन में कोई रोल नहीं
मेरठ। बाइपास स्थित सुभारती यूनिवर्सिटी में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें 20 छात्रों ने बौद्ध धर्म का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर अल्पसंख्यक कोटे के तहत एमबीबीएस में प्रवेश प्राप्त किया। इस घोटाले ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जांच के दौरान यह फर्जीवाड़ा पकड़ में नहीं आया, जिससे इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न हो रहा है।
मामले के सामने आने के बाद शिक्षा और प्रशासनिक विभागों में खलबली मच गई है, और इस पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। अब प्रदेश भर के सभी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों के प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी, ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक किंजल सिंह ने मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में हुए फर्जीवाड़े पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि जांच के बाद जिन छात्रों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाएंगे, उनका प्रवेश तुरंत निरस्त किया जाएगा। इसके साथ ही दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। यह घोटाला शिक्षा क्षेत्र की विश्वसनीयता पर एक गंभीर आघात है, और विभाग इसे पूरी गंभीरता से लेकर जांच कर रहा है।
किंजल सिंह के अनुसार, विभाग अब इस प्रकार के मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर से शिक्षा क्षेत्र में सुधार और सख्त निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित किया है, ताकि भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोका जा सके और प्रवेश प्रक्रिया को निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाया जा सके।
सुभारती विवि ने रखा अपना पक्ष
इस मामले में सुभारती विवि ने अपना पक्ष रखते हुए मीडिया प्रभारी अनम शेरवानी ने कहा है कि किसी भी अल्पसंख्यक चिकित्सा महाविद्यालय की भांति सुभारती मेडिकल कॉलेज,में भी अल्पसंख्यक कोटे में नीट काउंसिलिंग के माध्यम से ही प्रवेश होता है। इसमें कॉलेज को कोई अधिकार नही है, कि अपने स्तर पर छात्र को सीधे प्रवेश प्रदान कर दे।सरकार के माध्यम से निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अभ्यर्थियों का चयन नीट में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए आयोजित केन्द्रीयकृत काउन्सिलिंग के माध्यम से होता है। यह एक ऑनलाइन प्रक्रिया है जिसमें सुभारती मेडिकल कॉलेज का कहीं कोई हस्तक्षेप नहीं है। जो अभ्यर्थी चयनित होते हैं वे सरकार द्वारा निर्धारित नोडल सेंटर पर जाकर अपने आलेख एवं प्रमाण पत्रों की जांच करवाते हैं। जो सही पाए जाते हैं, उनके प्रवेश के लिए नोडल सेंटर ही प्रवेश पत्र जारी करता है। यहाँ तक कि अभ्यर्थी शुल्क भी नोडल सेंटर पर जमा करता है।यह मामला छात्र और काउंसिलिंग नोडल सेन्टर के मध्य का है। इसमें सुभारती मेडिकल कॉलेज की कोई भूमिका नही है। पुनः स्पष्ट किया जा रहा है कि सुभारती मेडिकल कॉलेज में जब भी कोई छात्र एमबीबीएस पाठयक्रम में प्रवेश लेता है, तो वह सीधा कॉलेज से संपर्क करके नहीं ले सकता इसके लिए छात्र को नीट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरकार द्वारा आयोजित काउंसलिंग में आवेदन करना होता है। नोडल सेन्टर पर जाकर छात्र अपने समस्त दस्तावेज की जांच कराता है। जब नोडल से न्टर द्वारा छात्र का चयन कर लिया जाता है।तो चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीएमई) द्वारा अपने स्तर से कॉलेज का आवंटन कर दिया जाता है। काउंसिलिंग प्रक्रिया के दौरान चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीएमई) द्वारा समस्त दस्तावेज की प्रमाणिता की जांच के उपरान्त ही छात्र को आगे आवंटित कॉलेज भेजा जाता है। अतः यह पूरा प्रकरण छात्र और काउंसिलिंग सेन्टर के मध्य का है। इसमें सुभारती मेडिकल कॉलेज की कोई भूमिका नहीं है।
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