स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण की 131 वीं वर्षगांठ पर कार्यशाला
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर स्वामी विवेकानंद का अमिट प्रभाव रहा
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रेरणास्रोत थे विवेकानंद
मेरठ। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अध्यात्म एवं राष्ट्रवाद की प्रेरणा स्वामी विवेकानंद से मिली । यह कथन स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ की नेताजी सुभाष चंद्र बोस शोधपीठ के अध्यक्ष मेजर डॉ. देशराज सिंह ने कहा, शिकागो में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण के 131 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यशाला में बोलते हुए उन्होंने कहा कि नेताजी विश्व के उन महान क्रांतिकारियों में से एक है जिन्होंने स्वतंत्रता और सामान्य का पाठ केवल भारतीय जनता को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व को भी बताया कि स्वाधीनता मानवता का नैसर्गिक अधिकार है।
स्वामी विवेकानंद सुभारती विवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और नेताजी सुभाषचंद्र बोस पीठ के तत्वावधान में अधिवेशन सभागार में आयोजित इस कार्यशाला में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए, विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. सुभाष चंद्र थलेडी ने नेताजी और स्वामी विवेकानंद के वैचारिक संबंध पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि अपनी किशोर अवस्था में ही नेताजी स्वामी जी के विचारों से प्रभावित हो चुके थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस शोध पीठ के समन्वयक प्रो. अशोक त्यागी ने कुछ उदाहरण देकर नेताजी पर स्वामी विवेकानंद के प्रभाव का वर्णन किया।
बीएजेएमसी द्वितीय वर्ष के छात्र नितेश तिवारी मंगलाचरण का संस्कृतिक गायन किया ।वहीं कार्यक्रम के अंत में हर्षुल शर्मा ने शिकागो की धर्म सभा में 11 सितंबर 1993 को स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए भाषण का हिंदी में वाचन किया।यह कार्यशाला नेताजी सुभाष चंद्र बोस शोधपीठ द्वारा आयोजित की गई थी, कार्यक्रम का सफल संचालन सहायक आचार्य राम प्रकाश तिवारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सहायक आचार्य शिकेब मजीद ने किया। इस कार्यक्रम में सहायक आचार्य मधुर शर्मा, सहायक आचार्य मुकुल शर्मा एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग एवं कंप्यूटर अप्लिकेशन के सभी छात्र-छात्रा मौजूद रहे।
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