भारत रक्षा पर्व का हुआ आयोजन

 खुशी और सांस्कृतिक श्रद्धा के साथ मनाया गया रक्षाबंधन

 मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ के डिपार्टमैंट औफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज ने रक्षाबंधन- "भारत रक्षा पर्व" को अत्यधिक खुशी और सांस्कृतिक श्रद्धा के साथ मनाया। विभाग के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित कार्यक्रम त्यौहार के सार का एक जीवंत प्रदर्शन रहा। जो भाइयों और बहनों के बीच प्यार, देखभाल और सुरक्षा के गहरे बंधन का प्रतीक था। पारंपरिक राखी बांधने की रस्म के साथ शुरू हुए उत्सव में भाग लेने के लिए छात्रों के साथ-साथ संकाय सदस्य भी एक साथ आए। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी, जिन्होंने बदले में उनकी रक्षा और समर्थन करने की कसम खाई। कार्यक्रम की शुरुआत राजनीति विज्ञान की सहायक प्रोफेसर डॉ. अमृता चौधरी ने खुशियों के त्योहार रक्षाबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए की।

कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन डॉ. सुधीर कुमार त्यागी ने कहा कि रक्षा बंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रिय भारतीय त्यौहार है जो भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाता है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर पवित्र धागा या "राखी" बांधती हैं, जो उनके प्यार और सुरक्षा का प्रतीक है। बदले में, भाई जीवन भर अपनी बहनों की रक्षा और समर्थन करने की कसम खाते हैं। यह त्यौहार पारिवारिक प्रेम, विश्वास और आपसी सम्मान की एक सुंदर अभिव्यक्ति है, जिसमें अक्सर उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है। रक्षा बंधन जैविक रिश्तों से परे है, कई लोग जिन्हें वे भाई मानते हैं उन्हें राखी बांधते हैं, जिससे एकता और देखभाल की भावना को बढ़ावा मिलता है।

विभाग के प्रमुख डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने सभा को संबोधित करते हुए छात्रों के बीच एकता और सांस्कृतिक जागरूकता की भावना को बढ़ावा देने में ऐसे समारोहों की भूमिका पर जोर दिया। कार्यक्रम का समापन हर्षोल्लास के साथ हुआ, जिसमें सभी ने शुभकामनाएं साझा कीं, जो त्योहार के प्रेम, सम्मान और पारिवारिक संबंधों से परे आपसी प्रतिबद्धता के संदेश का प्रतीक है। डॉ. मोनिका मेहरोत्रा ने भी विस्तार से बात करते हुए रक्षाबंधन के धागों का मतलब समझाया और लड़कियों की सुरक्षा पर जोर दिया।

उत्सव को एक विशेष खंड के साथ समृद्ध किया गया था जहां संकाय सदस्यों ने रक्षा बंधन के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व पर अंतर्दृष्टि साझा की, इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसी परंपराएं सामाजिक सद्भाव में कैसे योगदान देती हैं। इसके बाद उपहारों का गर्मजोशी से आदान-प्रदान हुआ और पारंपरिक मिठाइयों का वितरण हुआ, जिससे उत्सव की भावना और बढ़ गई। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ. अमृता चौधरी ने किया।इस अवसर पर डॉ. सुधीर कुमार त्यागी, डॉ. सरताज अहमद, डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी, डॉ. मोनिका मेहरोत्रा, डॉ. नेहा, डॉ. अमित, डॉ. राम प्रकाश तिवारी, श्री मधुर शर्मा, सुश्री शैली शर्मा उपस्थित रहे।

विद्यार्थियों में टिंडे, शिवानी, सूर्या तोमर, अतुल कौशिक, मंजीत, पुनीत, कायनात, आंचल, गुंजन, जानवी, अमन, अपूर्वा कौशिक, वर्षा व हर्षुल आदि मौजूद रहे।

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