प्रोद्योगिकी बने ताकत
इलमा अजीम
यदि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है तो प्रौद्योगिकी विकास को आधारशिला बनाना ही होगा। इसे हासिल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा अतिआवश्यक है, जिसमें राष्ट्रव्यापी ब्रॉडबैंड, 5-जी नेटवर्क, ऑटोमेशन और स्मार्ट शहर शामिल हैं। वर्ष 2047 तक विकसित भारत का सपना सिर्फ एक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह एक अरब से अधिक लोगों की सामूहिक महत्वाकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। इस दृष्टिकोण के केंद्र में प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, जो भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था और शासन के हर पहलू को पुनर्परिभाषित और री-इंजीनियरिंग करने की कोशिश कर रही है। सवाल उठता है कि क्या बहुआयामी डिजिटलीकरण भारत के इस बड़े लक्ष्य की रीढ़ तो नहीं ? पिछले कुछ दशकों में, भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है और सॉफ्टवेयर विकास, आइटी सेवाओं और डिजिटल नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में उभरा है। हालांकि, विकास का अगला चरण सभी क्षेत्रों में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के गहन और अधिक व्यापक एकीकरण (इंटीग्रेशन) की मांग भी करता है जिसको हासिल करने से हम अब भी काफी दूर हैं। इसे हासिल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा अतिआवश्यक है, जिसमें राष्ट्रव्यापी ब्रॉडबैंड, 5-जी नेटवर्क, ऑटोमेशन और स्मार्ट शहर शामिल हैं। इसके साथ ही सभी तंत्रों में पारदर्शिता, कार्यकुशलता और प्रति नागरिक भागीदारी को बढ़ाने में ई-गवर्नेंस एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और बिग डाटा का लाभ उठाते हुए, भारत एक उत्तरदायी, ईमानदार, पारदर्शी और समावेशी शासन मॉडल बना सकता है। क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे तकनीकों से संचालित उद्योग विनिर्माण को एक नया रूप दे सकते हैं। ईमानदार और जिम्मेदार नागरिकों से ही विकसित और विकासशील देशों के बीच अंतर का पता चलता है। इससे ही सुनिश्चित होता है कि कौन सा देश विकसित बनेगा और कौन विकासशील ही रहेगा। आज भारत का लक्ष्य तकनीक-संचालित शिक्षा और कौशल विकास में वैश्विक नेता बनना होना चाहिए तभी भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था एक वैश्विक विकास इंजन बन सकती है। इसमें ई-कॉमर्स, फिनटेक और डिजिटल भुगतान प्रमुख चालक होंगे। आज 15 से 25 साल के 25 करोड़ युवा वाले भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था में वैश्विक स्टार्टअप हब और वैश्विक नेतृत्व के साथ एक संपन्न डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र की सोच रखनी चाहिए। विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए यह जरूरी है।
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