विदेश व्यापार घाटा कम करना जरूरी
- डा. जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में 14 अगस्त को वाणिज्य विभाग के द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार विदेश व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार माह अप्रैल से जुलाई 2024 में 85.58 अरब डॉलर रहा है। पिछले वर्ष इसी समान अवधि में विदेश व्यापार घाटा 75.15 अरब डॉलर था। खासतौर से चीन से व्यापार घाटा और बढ़ा है। ऐसे में अब इस समय देश के समक्ष विदेश व्यापार के बढ़ते घाटे को कम करने और निर्यात बढ़ाने की नई जरूरत दिखाई दे रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक इस वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में कृषि निर्यात बढ़ाने की रणनीतिक पहलों को उपयुक्त रूप से क्रियान्वित करके कृषि निर्यात बढ़ाने का कारगर प्रयास किया जाएगा। केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक इस वर्ष भारत से वस्तु एवं सेवा निर्यात बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि पिछले दिनों बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट और अमरीका और जापान सहित दुनिया के कई देशों में मंदी के डर के परिदृश्य के बाद भारत के विदेश व्यापार घाटे की नई चुनौतियां उभर कर दिखाई दे रही है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश भारत का 8वां सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और पिछले वर्ष 2023-24 में भारत ने बांग्लादेश को 11 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात किया है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि इस वित्त वर्ष में भारत के द्वारा कुल निर्यात का लक्ष्य पिछले वर्ष से भी कुछ अधिक 800 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाने का सुनिश्चित किया गया है, ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास युद्ध, लाल सागर संकट और कंटेनर की कमी की वजह से निर्यात के इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के साथ-साथ आयात में उपयुक्त रूप से कमी करके विदेश व्यापार घाटे को कम किया जाना होगा। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की गठबंधन सरकार के द्वारा रणनीतिक रूप से विदेश व्यापार के बढ़ते घाटे को नियंत्रित करने और निर्यात की रफ्तार बढ़ाने के मद्देनजर मिशन मोड़ पर आगे बढ़ा जाना होगा।
इसके लिए पांच तरह के बहुआयामी उपाय सुनिश्चित किए जाने होंगे। एक, भारत के विदेश व्यापार में नई जान फूंकने के लिए द्विपक्षीय वार्ताएं बढ़ाई जाएं। दो, वर्ष 2024-25 के बजट के तहत निर्यात बढ़ाने के लिए सुनिश्चित किए गए अभूतपूर्व बजट आवंटनों का शुरुआत से ही कारगर उपयोग किया जाए। तीन, सेवा निर्यात को हर संभव तरीके से बढ़ाया जाए। चार, निर्यातकों को शुल्क के अलावा आने वाली बाधाओं (नॉन टैरिफ बैरियर) से राहत दी जाए और पांच, नए संभावित निर्यात बाजार तलाशे जाएं। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि यकीनन इस समय नई गठबंधन सरकार वैश्विक व्यापार की चुनौतियों के बीच भारत से निर्यात बढ़ाने और व्यापार घाटे को कम करने के लक्ष्य को सामने रखकर आगे बढ़ रही है। पिछले दिनों 11 जुलाई को नई दिल्ली में बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी के आसपास स्थित देशों का संगठन) में भारत ने नई जान फूंकने की कोशिश की। भारत के द्वारा लगातार द्विपक्षीय व्यापार और आपसी सहयोग बढ़ाने की पहल नेबरहुड फस्र्ट और एक्ट ईस्ट तथा सागर नीति के तहत विदेश व्यापार बढ़ाने की पहल की जा रही है। इसी तरह भारत ने रूस सहित मित्र देशों और विभिन्न विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं से कारोबार बढ़ाने की नई कवायद शुरू की है। इसी परिप्रेक्ष्य में 8 से 10 जुलाई तक प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और ऑस्ट्रिया के तीन दिवसीय दौरे के दौरान रूस और ऑस्ट्रिया के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं से विदेश व्यापार की नई संभावनाएं आगे बढ़ाई हैं।
यकीनन वित्तमंत्री सीतारमण के द्वारा पेश किया गया वर्ष 2024-25 का बजट उद्योगों को समृद्ध करने का भी बजट है। इस बजट के माध्यम से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करते हुए आयात घटाने व कृषि एवं वस्तु निर्यात बढ़ाने के अभूतपूर्व प्रावधान किए गए हैं। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर देश से निर्यात और रोजगार सृजन दोनों में अहम योगदान देता है और इसके प्रोत्साहन के लिए इस बजट में खास ख्याल रखा गया है। वित्तमंत्री ने बजट में देश के 100 शहरों में प्लग एंड प्ले वाले औद्योगिक पार्क बनाने की घोषणा की है। केंद्र, राज्य और निजी सेक्टर की आपसी सहभागिता से प्लग एंड प्ले सुविधा वाले औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे। उद्यमी को ऐसे औद्योगिक पार्क में जाकर सिर्फ उत्पादन शुरू करना होता है। नए बजट के प्रावधानों के तहत 100 शहरों में प्लग एंड प्ले वाले सुविधा वाले औद्योगिक क्लस्टर या पार्क के विकसित होने से कम से कम 100 प्रकार के आइटम का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो सकता है। वर्ष 2024-25 के बजट में वित्तमंत्री ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर सशक्त बनाया है। निस्संदेह सरकार को ध्यान देना होगा कि कल तक पूरी दुनिया में भारत का सेवा निर्यात तेज रफ्तार से बढ़ रहे चमकीले सेक्टर के रूप में रेखांकित होता रहा है, लेकिन अब भारत के इसी प्रभावी सेवा निर्यात की रफ्तार सुस्त हो गई है। ऐसे में सेवा निर्यात की रफ्तार बढ़ाना जरूरी है। सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन से सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिला है। यह जरूरी है कि निर्यातकों के समक्ष शुल्क के अलावा जो नॉन टैरिफ बाधाएं हैं, उन्हें दूर किया जाए। अभी तक करीब 200 नॉन टैरिफ बाधाएं चिन्हित की गई हैं। ये ऐसी बाधाएं हैं जो कई देश अपने आर्थिक लक्ष्यों और विदेश व्यापार को ध्यान में रखकर निर्मित करते हैं। ये सामान्यतया अनुचित और आयातकों से भेदभावकारी होती हैं। खासतौर से इनमें दस्तावेज से संबंधित प्रक्रियाएं, मौसमी शुल्क, टैरिफ कोटा, वस्तुओं की जांच और प्रमाणन, गुणवत्ता, आयात संबंधी पाबंदियां आदि शामिल हैं। ये बाधाएं मुख्य रूप से समुद्री उत्पाद, फार्मास्युटिकल्स, खनिज पदार्थ आदि से संबंधित है। पिछले कई वर्षों से ऐसी बाधाओं से चीन, रूस सहित कई देशों की सरकारों को अवगत कराया गया है।
आम तौर पर नॉन टैरिफ बैरियर दूर करने में कई साल लग जाते हैं। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि सरकार के द्वारा अतिशीघ्र नॉन टैरिफ बैरियर से संबंधित एक ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किया जाना लाभप्रद होगा, जिस पर सभी निर्यातक नॉन टैरिफ बैरियर की शिकायत दर्ज करा सकें, निर्यातकों के समक्ष विभिन्न देशों में आने वाली चुनौतियों का पता लगाया जा सके। साथ ही यदि ऐसे भी नियम विश्व व्यापार संगठन के अनुकूल नहीं हो तो सरकार के हस्तक्षेप से निर्यातकों को इससे जूझने से बचाने के उपाय किए जा सके। एक महत्त्वपूर्ण कदम यह भी उठाया जा सकता है कि चीन से गैर शुल्क बाधाएं समाप्त कराए जाने हेतु यूरोपीय देशों की तरह भारत के द्वारा भी चीन पर दबाव की रणनीति के तहत चीनी आयातों पर असाधारण आयात प्रतिबंध लगाने की रणनीति अपनाई जाए। पिछले माह 12 जून को यूरोपीय आयोग ने चीन में बने इलेक्ट्रिक वाहनों पर 48 फीसदी तक आयात शुल्क लगाना सुनिश्चित किया है। पिछले कई वर्षों से यूरोपीय देश चीन से आयात पर शुल्क की दरें 10 फीसदी तक ही सीमित किए हुए थे। हम उम्मीद करें कि इन विभिन्न रणनीतिक पहलों के उपयुक्त क्रियान्वयन से निर्यात बढऩे और आयात घटने का जो परिदृश्य निर्मित होते हुए दिखाई देगा, उससे देश के विदेश व्यापार घाटे में कमी आते हुए दिखाई दे सकेगी।
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