आर्युेवेदिक कॉलेजों ने एमईएस 2024 को बताया संस्थान विरोधी, केंद्रीय आयुष मंत्री को सौंपा ज्ञापन

- राष्ट्रीय महासंघ के तहत पूरे भारत के आयुर्वेदिक कॉलेजों ने आयुष मंत्री को ज्ञापन सौंपा

- केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दिया समस्याओं का जल्द निवारण करने का आश्वासन

नई दिल्ली। एमईएस 2024 पूरी तरह से मनमाना है, जो देश के महान ऋषियों जैसे महर्षि चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि आदि पर आधारित शिक्षा के विरुद्ध है। वर्तमान एमईएस 2024 न तो पूरी तरह आयुर्वेदिक है और न ही एलोपैथिक। राष्ट्रीय महासंघ के तहत देश भर के आयुर्वेदिक कॉलेजों ने एकजुट होकर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और उन्हें बताया की किस प्रकार नया एमईएस 2024 कॉलेज विरोधी है और देश की शिक्षा व्यवस्था को खतरे में डालेगा।

पंजाब, कर्नाटक, यूपी, हरियाणा, एमपी, छत्तीसगढ़ और देश के लगभग सभी राज्यों के आर्युेवेदिक कॉलेज संचालकों ने राष्ट्रीय महासंघ के तहत केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को सौंपे गये ज्ञापन में कहा की आयुष मंत्रालय के तहत एनसीआईएसएम ने एमईएस 2024 के संबंध में दिनांक 02 मई, 2024 की अधिसूचना की घोषणा की है जिसे सभी कॉलेजों और अस्पतालों द्वारा पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जाना है। एमईएस 2024 को लेकर हितधारकों, विशेष रूप से देश भर के निजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों (जिनकी संख्या चार सौ पचास से अधिक है) की राय पर विचार नहीं किया गया।

एमईएस 2024 का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेदिक कॉलेजों और अस्पतालों के कामकाज में इंस्पेक्टर राज के माध्यम से अनुचित हस्तक्षेप करना है, जैसे क्यूआईसी, वार्षिक निरीक्षण, शिक्षकों को कॉलेजों की कीमत पर दूरदराज के राज्यों में अपने निर्धारित स्थानों पर प्रशिक्षण के लिए जाना, एनएबीएच, एनएएसी आदि। यह सब आपके ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के विषय का खंडन करता है। एमईएस 2024 एकीकृत आयुर्वेदिक के साथ-साथ एलोपैथिक अस्पतालों के संचालन को बाध्य करता है। जबकि देश का कानून आयुर्वेदिक डॉक्टरों (वैद्य) को दूसरे तरीके से इलाज करने से रोकता है।

नए मानदंडों में निर्धारित आकारों के अनुसार आयुर्वेदिक कॉलेजों और अस्पतालों के पूर्ण पुनर्निर्माण की आवश्यकता है।यह निजी स्व-वित्तपोषित कॉलेजों पर भारी वित्तीय बोझ के अलावा है, जिन्होंने नवीनतम एमएसआर 2022 के अनुसार भवनों का निर्माण किया है और पहले से ही सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम शुल्क और कई नियमों द्वारा लगाए गए नए खर्चों के कारण अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

भारत में, एलोपैथिक दवाओं से जुड़े उपचारों को संचालित करने के लिए योग्य आयुर्वेदिक संकाय और शिक्षकों की महत्वपूर्ण कमी है। पहले से ही फैकल्टी और सहायक कर्मचारियों की कमी से परेशान आयुर्वेदिक कॉलेजों के लिये आयुष मंत्रालय ने उनसे परामर्श किए बिना एमएसई 2024 नामक अधिसूचना जारी कर दी, जिसमें कानूनी बाध्यता के बिना कॉलेजों को एलोपैथिक चिकित्सा उपचार में बदलने के लिए बाध्य किया गया।

केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनते हुए कहा की आयुर्वेद हमारी भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है। हमारी सरकार भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिये संकल्पित है। आयुर्वेदिक कॉलेजों की समस्याओं का शीघ्रता से समाधान किया जायेगा।  

आर्युेवेदिक कॉलेज के राष्ट्रीय महासंघ की ओर से डॉ. डी के गर्ग (अध्यक्ष),  श्री श्रीनिवास बन्निगोल (सचिव),  श्री अमित गोयल (उपाध्यक्ष),  श्री राकेश गुप्ता (उपाध्यक्ष), श्री कंबोज, डॉ. पीसी सिंगला, श्री पुरुषोत्तम शर्मा, श्री विक्रांत मलिक, श्री योगेश मोहन गुप्ता, डॉ. सूर्यांशु, डॉ. खान ने केंद्रीय आयुष मंत्री को ज्ञापन सौंपा।

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