-वैंकटेश्वरा के (विम्स) के चर्म रोग विभाग द्वारा मेलेनिन सिम्पोजियम विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला

-दिल्ली, मेरठ, गाजियाबाद, गुरुग्राम, लखनऊ, मुम्बई, चेन्नई एवं हैदराबाद समेत देश के विभिन्न हिस्सों से आये 122 वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञों (डेर्मेटोलोजिस्ट) ने मेलेनिन की कमी से एवं अधिकता से होने वाले चर्म रोगों, उसके सटीक निदान एवं नवीनतम उपचार के तरीको पर विस्तार से किया मंथन 

-अत्याधुनिक लेजर ट्रीटमेंट समेत एक्टिव एफएक्स, अल्ट्रा थेरेपी समेत समस्त सुविधाओं से लैस विम्स का चर्म रोग विभाग “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस”- डा. सुधीर गिरि

-मेलेनिन असमान्यता से होने वाली विटिलिगो, मेलेसिमा, एल्बिनिज्म जैसी बिमारियों का समय पर सही उपचार ना होने से स्किन कोशिकाएं नष्ट होने के साथ-साथ भैंगापन एवं आँखों की रौशनी भी जा सकती है |- डा. अरविन्द कृष्णा, विख्यात चर्म रोग विशेषज्ञ, दिल्ली 

-अनचाहे बाल हटाना, हेयर ट्रांसप्लांटेशन, बर्न थेरेपी, कॉस्मेटिक सर्जरी, लेजर उपचार समेत विम्स में स्किन के सभी विश्वस्तरीय ट्रीटमेंट उपलब्ध- डा. राजीव त्यागी

मेरठ। आज राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय के विम्स (वैंकटेश्वरा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) के चर्म रोग विभाग द्वारा “मेलेनिन सिम्पोजियम” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शानदार आयोजन किया गया, जिसमे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, लखनऊ समेत देश के विभिन्न हिस्सों से आये वरिष्ठ डेर्मेटोलोजिस्ट (चर्म रोग विशेषज्ञों) ने मेलेनिन की असमान्यता (कमी या अधिकता) से होने वाले विभिन्न खतरनाक रोगों की सटीक जाँच एवं नवीनतम उपचार तकनीकों पर व्यापक चर्चा करते हुए विभिन्न त्वचा रोगों के डायग्नोसिस पर प्रकाश डाला ।

वैंकटेश्वरा संस्थान के डा. बिधान चन्द्र राय सभागार में “मेलेनिन सिम्पोजियम” विषय पर आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय चिकित्सा कार्यशाला का शुभारम्भ समूह चेयरमैन डा. सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डा. राजीव त्यागी, डीन मेडिकल डा. अतुल वर्मा, विम्स चर्म रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डा. प्रज्ञा कुशवाहा, कार्यशाला संयोजक डा. रोहन त्यागी, डा. अरविन्द कृष्णा, डा. ए.बी.डेविड आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया ।

अपने सम्बोधन में हैदराबाद से आये डा. ए.बी.डेविड ने कहा कि मेलेनिन एक प्राकृतिक रंग वर्णक है जो कि हमारी त्वचा को कलर प्रदान करता है। इसकी असमान्यता (कमी या अधिकता) से विटिलिगो, एल्बिनिज्म, मेलेसिमा जैसी गंभीर बीमारियाँ जन्म लेती है। यदि समय से जाँच कराकर सही उपचार ना लिया जाये तो यह घातक बिमारी का रूप ले लेती है | जिसमे स्किन ख़राब होने के साथ-साथ भैंगापन एवं दृष्टिदोष भी उत्पन्न हो जाते है राष्ट्रीय कार्यशाला को डा. आकांक्षा आस्तिक, डा. दीक्षा अग्रवाल, डा. रोहन त्यागी, डा. अमरजीत वर्मा, डा. सचिन अग्रवाल, डा. जूही कैथवास, डा. प्रज्ञा कुशवाहा, डा. अनुराग प्रधान आदि ने भी सम्बोधित किया।

इस अवसर पर एम.एस. डा. आई.बी.राजू, डीन एकेडेमिक डा. संजीव भट्ट, डा. सची अहलावत, डा. प्रताप सिंह मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे ।

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