नेताओं की महिला विरोधी मानसिकता

- लक्ष्मीकांता चावला
हाल ही में नीतीश कुमार ने महिला विधायक रेखा देवी जी को अपमानित करते हुए यह कह दिया कि ‘तुम महिला हो, कुछ नहीं जानती हो।’ इससे पहले भी कई बार अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया और एक बार तो विधानसभा में ऐसी व्याख्या कर दी जिसमें शर्म को भी शर्म आ गई।
मेरा नीतीश जी से यह कहना है कि आप मुख्यमंत्री हैं, ठीक है। आप सरकारें बना सकते हैं, बिगाड़ सकते हैं, दलबदल कर सकते हैं, पर याद रखिए महिलाएं इस देश की राष्ट्रपति हैं। प्रधानमंत्री बन चुकी हैं। सीमा की रक्षा के लिए वीर सैनिक बेटियां राफेल उड़ा रही हैं। प्रशासनिक सेवाओं में और पुलिस सेवाओं में अपनी योग्यता से नाम कमा रही हैं। सीमाओं की रक्षा कुशलता से कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट की जज और वकील बनने वाली भी अगर महिलाएं कुछ नहीं जानतीं, तो क्या सब कुछ नीतीश कुमार जानते हैं, क्योंकि वे पुरुष हैं? नीतीश ने विश्व भर की महिलाओं का अपमान किया है। नीतीश सरकारें बना कर गिरा सकते होंगे, पर जो काम इस देश की महिलाओं ने कर दिया है, वह आज तक नहीं कर सके। मुझे लगता है नीतीश कुमार से ज्यादा उन विधायकों का दोष है जो अपने मुख्यमंत्री की अनुचित बातें सुनते, उसके पक्ष के लोग तालियां लगाते और उसका समर्थन करते हैं। नीतीश कुमार दुनिया भर की महिलाओं से माफी मांगें और सबसे पहले उस विधायक से, जिसे महिला होने के कारण यह कह दिया कि महिला हो, कुछ नहीं जानती हो। नीतीश कुमार उस पुरुष प्रधान मानसिकता के शिकार हैं जो हमेशा महिलाओं को नीचा दिखाती है। वह असंवैधानिक भाषा बोलते हैं, फिर भी संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री बने हैं। इस पर राष्ट्रीय महिला आयोग खामोश क्यों है?
नीतीश को नोटिस भेजकर पेश होने के लिए क्यों नहीं कह दिया? यद्यपि सदियों से ही धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं को वह स्थान नहीं मिला जो उनका अधिकार है। स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने अतुलनीय साहस का परिचय देते हुए पहले मुगलों के और फिर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए। बहुत पुरानी बात नहीं, जब नेताजी की सेना में रानी झांसी ब्रिगेड बनी तो उस समय की युवती लक्ष्मी सहगल ने कैप्टन के रूप में आजाद हिंद फौज में ऐतिहासिक वीरता दिखाते हुए काम किया और महिला बल को संगठित किया। रानी झांसी के जौहर कौन नहीं जानता- खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। महारानी अहिल्या बाई की वीरता, धीरता और निष्पक्षता का साम्राज्य तथा शत्रुओं से लोहा लेने की गाथाएं देश में, विशेषकर मध्यप्रदेश में घर-घर गूंज रही हैं। मां अहिल्या बाई भी तो भारत के वीरों का कंठहार है।
शिवाजी का निर्माण, मानसिक, आत्मिक और बौद्धिक रूप से उन्होंने ही किया। एक वीर पुत्र देश को दिया, जो धर्म के साथ ही देश की बेटियों की भी रक्षा करे, चाहे वह दुश्मन की भी क्यों न हो। असंख्य गाथाएं हैं और खासकर बिहार की वीर बालिकाओं का इतिहास संभवत: नीतीश नहीं जानते, उनको जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में अंग्रेज की गोलियों का भी सामना किया था। असम की कनकलता समेत और पंजाब की दुर्गा भाभी समेत महिलाओं के बुद्धि शौर्य और रण शौर्य की असंख्य गाथाएं हैं, पर अपनी अल्पबुद्धि और सत्ता के बल पर नीतीश ने महिलाओं का घोर अपमान पहले भी किया है और अब भी कर दिया है। नीतीश को बताना होगा कि क्या महिला है, इसलिए कुछ नहीं जानती? यह किस दुष्प्रभाव में कहा? वैसे भी भारत की पुरुष मानसिकता जानते हुए या अनभिज्ञता में महिलाओं का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
देश के किसी भी वर्ग का कोई विरला व्यक्ति ही ऐसा होगा, जो गाली निकालते हुए बेटियों, बहनों का अपमान नहीं करता। बड़े से बड़ा अधिकारी भी, मंत्री भी, सांसद और विधायक भी गाली निकालते हैं। यह सीधा-सीधा महिलाओं का अपमान है। केवल देश की बात नहीं, दुनिया भर में भी चर्चा है कि भारत में लिंग भेद बहुत ज्यादा है। वल्र्ड इकोनामिक फोरम ने कुछ समय पहले ही ग्लोबल जैंडर गैप रिपोर्ट 2024 पब्लिश की है। इसमें 146 देशों में से भारत जैंडर गैप के मामले में 129वें स्थान पर पहुंच गया है। यह अत्यंत दुखद है। महिलाओं के शैक्षिक और राजनीतिक सशक्तिकरण में भी गिरावट आई है। संसद में महिलाओं की भागीदारी केवल 17.2 प्रतिशत है। यह दुख की बात है कि भारत उन देशों में शामिल है जहां लैंगिक समानता हर क्षेत्र में सबसे कम है।
भारत में पुरुष जहां 100 रुपए औसतन कमाते हैं, वहीं महिला 39.8 रुपए कमाती है। हम अपने आसपास के वातावरण में भी देखते हैं कि बहुत सी लड़कियां, जिन्होंने स्कूल के पश्चात आगे शिक्षा प्राप्त नहीं की, उनका यही कहना होता है कि आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण माता-पिता ने पढऩे से रोक लिया। बहुत सी ऐसी भी मिलेंगी जो कहेंगी कि विवाह से पहले वे कोई न कोई नौकरी आर्थिक मजबूती के लिए करती थीं, पर शादी के बाद छुड़वा दी गई। सच यह है कि हिंदुस्तान की आधी से ज्यादा औरतें, संभवत: असलियत ज्यादा ही हो, हर दिन पिटाई का शिकार होती हैं। गोवा के स्व. मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, जो बहुत ही नेक और शालीन व्यक्ति थे, उन्होंने भी यह कहा था कि मैं डरने लगा हूं, क्योंकि अब लड़कियां भी शराब पीने लगी हैं। सहने की क्षमता समाप्त हो रही है, पर उन्होंने यह कभी नहीं बताया कि गोवा में दुकान दुकान पर शराब बेची जाती है। दमन के समुद्र तट पर तो जिस तरह रेवडिय़ां-मूंगफली बिकती हैं, इस तरह शराब बेची जाती है, पर न किसी को चिंता है और न पुरुष समाज शराब का आदी होकर महिलाओं पर अत्याचार करता है, इसकी किसी को चिंता है।
वैसे राजनीतिक क्षेत्र के जो दिग्गज हैं, वे महिलाओं के विरुद्ध आक्षेप करते ही रहते हैं। समाजवादी पार्टी प्रमुख स्व. मुलायम सिंह यादव ने एक रैली में बलात्कार जैसा अपराध करने वालों के लिए जो कुछ कहा, वह लिखने योग्य नहीं, पर महिलाओं का सीधा-सीधा अपमान किया। शरद यादव महिलाओं पर कई बार अभद्र टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने साउथ की महिलाओं को लेकर जो कहा था, वैसे तो वह बार-बार लिखने योग्य नहीं, पर दक्षिण भारत की महिलाओं के विषय में उनके शब्द, उनकी केवल शारीरिक सुंदरता का चित्रण किसी को अच्छा नहीं लगा, न संसद में न बाहर।

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी यद्यपि सद्भावना से ही कहा, पर हर समय महिलाओं के लिए उपदेश इन राजनेताओं की आदत बन गई है। उन्होंने होली मिलन के कार्यक्रम में यह कहा- महिलाओं को ऐसा श्रृंगार करना चाहिए जिससे श्रद्धा पैदा हो, न कि उत्तेजना। कभी-कभी महिलाएं ऐसा श्रृंगार करती हैं जिससे पुरुष उत्तेजित हो जाते हैं। बेहतर है कि महिलाएं लक्ष्मण रेखा में रहें, पर पुरुषों के लिए किसी मर्यादा रेखा का कोई वर्णन नहीं करता। छत्तीसगढ़ के कोरबा से भाजपा सांसद बंसीलाल मेहतो ने राज्य की महिलाओं के लिए अत्यंत ही आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के खेल मंत्री भैया लाल राजवाड़े का नाम लेते हुए कहा था कि वह अक्सर कहते हैं कि अब बालाओं की जरूरत मुंंबई और कोलकाता से नहीं है, कोरबा की टूरी और छत्तीसगढ़ की लड़कियां टनाटन हो गई हैं।


 हरियाणा के खाप पंचायत नेता जितेंद्र छत्तर ने भी बलात्कार की घटनाओं पर चिंता करते हुए यह कहा था कि चाउमिन खाने से शरीर के हार्मोंस में असंतुलन पैदा होता है। इसी वजह से इस तरह के कार्य करने का मन करता है। राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी एक बार प्रियंका गांधी के लिए अवांछित शब्द कहे थे। इस तरह के बयानों का संज्ञान लिया जाना चाहिए।
(स्वतंत्र लेखिका)

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