जानलेवा लापरवाही
 इलमा अजीम 
चाहे उत्तर प्रदेश के हाथरस में धार्मिक आयोजन में भगदड़ मचने के बाद मौतों का मामला हो या फिर दिल्ली के कोचिंग इंस्टीट्यूट में पानी भरने से तीन विद्यार्थियों की मौत की घटना, सवाल एक जैसे ही उठते हैं कि आखिर इन मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है? आग लगने के बाद कुआं खोदना कोई अच्छी बात नहीं कही जाती। ऐसा करने से लाभ भी नहीं होता। लेकिन बात जब गैर जिम्मेदारी की होती है तो कुआं खोदने का काम आग लगने के बाद ही होता है। कोचिंग इंस्टीट्यूट के संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस लापरवाही के लिए यह कार्रवाई होनी भी चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि दिल्ली नगर निगम के आला अफसर आखिर घटना से पहले नींद में क्यों गाफिल थे? हैरत इस बात की है कि बेसमेंट का इस्तेमाल सिर्फ स्टोरेज के रूप में करने की अनुमति थी लेकिन वहां लाइब्रेरी संचालित की जा रही थी। ऐसी जगह जहां पानी की निकासी तक की समुचित व्यवस्था नहीं हो, वहां आखिर लाइब्रेरी कैसे चल रही थी? क्या यह अंदाज नहीं लगाया जा सकता था कि यदि भारी बरसात के दौर में बेसमेंट में पानी भर गया तो क्या होगा? हादसे जब भी होते हैं लापरवाही से जुड़े कई सवाल हवा में तैरते रहते हैं लेकिन इनका जवाब कोई नहीं देता। हां, हादसे के बाद जांच, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई और मुआवजे की घोषणाएं जरूर तुरत-फुरत में हो जाती हैं। दिखावे के लिए आसपास के कुछ और कोचिंग संस्थानों के संचालकों कोभी नोटिस थमाए गए हैं। क्या महज इस खानापूर्ति से ही प्रशासन अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री समझ लेगा? बात अकेले दिल्ली की नहीं है। जयपुर से लेकर भोपाल और मुम्बई से लेकर बेंगलूरु तक एक जैसे हालात हैं। इमारतों के बेसमेंट में धड़ल्ले से लाइब्रेरी और कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। सीवर लाइनों और ड्रेनेज के रखरखाव के मामले में दिल्ली जैसी लापरवाही भी हर जगह नजर आ रही है। सडक़ों पर भी जलभराव की समस्या आम है। जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होगी तो दिल्ली जैसे हादसे कहीं भी हो सकते हैं। फिर दिल्ली में तो उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच टकराव भी समस्याओं के समाधान में बड़ी बाधा बना हुआ है। दिल्ली की घटना की जांच का ऐलान कर दिया गया है। जांच कमेटी भी बना दी गई है। जाहिर है सिर्फ बेसमेंट मेंं लाइबे्ररी चलना हादसे की वजह नहीं है। मुख्य वजह ड्रेनेज का फटना और बेसमेंट में अचानक पानी भरना है। इसलिए दिल्ली ही नहीं सभी शहरों में सीवर लाइनों और ड्रेनेज के रखरखाव पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि इस तरह के हादसे फिर न हों।

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