कभी भाजपा की संकटमोचल बीजेडी बढ़ा रही भाजपा की टेंशन 

 लोकसभा में विपक्ष के वॉकऑऊट में खडी दिखाई दी बीजेडी 

नयी दिल्ली,एजेंसी। 2014 से लेकर 2024 के चुनाव से पहले तक बीजेपी के हर मौकों पर बीजेडी समर्थन करती रही है। बुधवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी के भाषण का इंडिया गठबंधन ने वॉकआउट किया तो उसमें बीजेडी भी शामिल थी। ऐसे में बीजेडी के बदले हुए सियासी तेवर से क्या बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भले ही लगातार तीसरी बार देश की सत्ता की कमान मिल गई है, लेकिन 2024 के चुनाव नतीजों ने संसद की तस्वीर बदल दी है। संसद के उच्च सदन में अभी तक बीजेपी और मोदी सरकार के लिए नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी संकटमोचक बनती रही है। संसद में चाहे बिल पर वोटिंग करने की बात हो या फिर किसी मुद्दे के समर्थन की. हर कदम पर अभी तक मोदी सरकार का साथ देने वाली बीजेडी अब विपक्ष के साथ खड़ी दिख रही है। बुधवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी के भाषण का इंडिया गठबंधन ने वॉकआउट किया तो उसमें बीजेडी भी शामिल थी। ऐसे में बीजेडी के बदले हुए सियासी तेवर से क्या बीजेपी की टेंशन बढ़ेगी?।

एनडीए के हर कदम पर बीजेडी साथ खड़ी नजर आई है। 2014 से लेकर 2024 के चुनाव से पहले तक बीजेपी के हर मौकों पर बीजेडी समर्थन करती रही है। धारा 370 को निरस्त करने वाले विधेयक, तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने वाले विधेयक और नागरिकता संशोधन (सीएए) विधेयक सहित कई अहम मौके पर संसद में मोदी सरकार के साथ बीजेडी खड़ी रही है। लोकसभा में विपक्ष ने जब-जब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का काम किया तो तब-तब नवीन पटनायक की बीजेडी संकटमोचक बनी।

2024 के लोकसभा चुनाव के बाद स्थिति बदल गई है। ओडिशा की सत्ता गंवाने और लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद नवीन पटनायक की सियासत बदल गई है। चुनाव नतीजे के बाद ही पटनायक ने साफ कर दिया है कि बीजेडी अब विपक्ष की भूमिका निभाएगी, जिसकी झलक बुधवार को राज्यसभा में देखने को मिली।

मोदी सरकार के खिलाफ पार्टी की नई आक्रामकता को 2024 के चुनाव में मिली असफलता के बाद लोगों का विश्वास वापस जीतने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. बीजेडी विपक्ष की भूमिका में रहकर अपने छवि को बेहतर बनाने में जुटी है, जिसके चलते ही इंडिया गठबंधन के साथ कदमताल करती हुई दिख रही है. हालांकि, बीजेडी सुप्रीमो और पूर्व सीएम पटनायक ने अपनी पार्टी के राज्यसभा के सांसदों के साथ बैठक कर कहा था कि पार्टी ओडिशा के हितों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगी। पटनायक ने साफ कह दिया था कि अब बीजेपी का समर्थन नहीं, सिर्फ विरोध। बीजेडी सांसदों ने राज्यसभा में विपक्ष के साथ वॉकआउट कर अपने संकेत दे दिए हैं.

नवीन पटनायक की बीजेडी में आए सियासी बदलाव इसीलिए भी अहम है, क्योंकि राज्यसभा में अभी उनके 9 सदस्य हैं। बीजेपी के पास अभी भी राज्यसभा में अपने दम पर बहुमत का नंबर नहीं है. ऐसे में बीजेपी को राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए सहयोगी और अन्य दलों पर भरोसा करना पड़ा है।  अब बीजेडी के बदले हुए तवर से उच्च सदन में बीजेपी के लिए चिंता बढ़ गई है.

राज्यसभा में अभी 245 सांसद सदस्य हैं। ऐसे में किसी भी विधेयक को राज्यसभा में पास कराने के लिए सरकार को 123 सदस्यों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के पास 114 राज्यसभा सांसद, लेकिन उसे किसी बिल को पास करने के लिए 11 सदस्यों का समर्थन जुटाना पड़ेगा. अभी तक बीजेडी के साथ रहने से मोदी सरकार के लिए आसान रहता था, लेकिन अब मुश्किल होगी। ऐसे में बीजेपी को राज्यसभा में अपना नंबर बनाने के लिए तमाम छोटे और अन्य दलों को साधने की कवायद करनी होगी।

राज्यसभा में वाईएसआर कांग्रेस के 11 सदस्य हैं. ऐसे में बीजेडी के कमी को वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से पूरी हो जाएगी, लेकिन जिस तरह से आंध्र प्रदेश में उसकी विरोधी टीडीपी एनडीए का हिस्सा हैं. ऐसे में कब वाईएसआर कांग्रेस अपने सियासी तेवर बदल दे, उसे कहना मुश्किल है. ऐसे में बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत का नंबर की व्यवस्था करनी होगी?

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