प्रवासी साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा की कहानियों में जो नयापन और भाषाई पकड़ है,वह गहन अध्ययन के बाद ही सामने आ सकती हैं ऐसी कहानियां : आरिफ नकवी
मेरठ। उर्दू विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और इंटरनेशनल यंग उर्दू स्कॉलर्स एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में साप्ताहिक लाइन कार्यक्रम 'अदबनुमा' के अंतर्गत "प्रवासी साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा और उनका साहित्य" विषय पर ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में जर्मनी के श्री आरिफ नकवी ने कहा कि तेजेन्द्र शर्मा की कहानियाँ ही नहीं बल्कि उनकी भाषा, उनका कथन भी इतना सुन्दर है कि पाठक प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता। आपने कहानी में जो विस्तार से वर्णन किया है वह प्रशंसनीय है। विभिन्न पात्रों के मनोविज्ञान का विवरण प्रस्तुत करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। आपकी कहानियों में एक अच्छी शैली एवं कलात्मक कौशल देखने को मिलता है।
इससे पहले सईद अहमद सहारनपुरी ने पवित्र कुरान की तिलावत से कार्यक्रम की शुरुआत की, बाद मे सितवत खातून ने अपनी खूबसूरत आवाज में नात प्रस्तुत की. अध्यक्षता सुप्रसिद्ध लेखक एवं आलोचक आरिफ नकवी [जर्मनी] ने की, मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध एवं अनूठे हिंदी कथाकार, कवि, अनुवादक एवं पत्रकार प्रवासी भारतीय साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा ने लंदन से ऑनलाइन भाग लिया। जबकि वक्ताओं में आयुसा की अध्यक्ष प्रो. रेशमा परवीन और हिंदी आलोचक डॉ. विद्या सागर सिंह रहे। मुख्य अतिथि तेजेंद्र शर्मा का परिचय और स्वागत करते हुए शोधार्थी सैयदा मरियम इलाही ने कहा कि हर युग में कुछ ऐसी शख्सियतें होती हैं जो उस युग को प्रभावित करती हैं। ऐसी शख्सियतों में एक अहम नाम है भारतीय मूल के विदेशी लेखक तेजेंद्र शर्मा का। आज के इतिहास में उन्हें हिंदी कथा साहित्य का गौरव कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आपने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है।' आपका जन्म पंजाब में हुआ लेकिन आपकी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली से और उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई। बाद में आप ब्रिटेन में बस गये। वहां भी आपने प्रमुख कार्य किये। आप हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी, गुजराती और उर्दू भाषाओं पर अच्छी पकड़ रखते हैं। आप इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट और "कथा यूके" के संस्थापक सचिव भी हैं । यह हिंदी साहित्य का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय सम्मान "इंदु शर्मा अंतरराष्ट्रीय कथा पुरस्कार" देने वाली संस्था है। आप ही इस संस्था के माध्यम से ब्रिटिश संसद में इस पुरस्कार का आयोजन करते हैं। आप 25 वर्षों से ब्रिटेन में हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं और आप विश्व के एकमात्र हिन्दी लेखक हैं जिन्हें बर्मिंघम पैलेस में ग्रेट ब्रिटेन की महारानी ने एमबीई की उपाधि से सम्मानित किया है। आपने गद्य और दोनों में सफल प्रयोग किये हैं कविता। गद्य, कथा, नाटक और शायरी में कविता और ग़ज़ल के अलावा उन्होंने आलोचना में भी अपना हुनर आज़माया है। आपकी कई काल्पनिक कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हुईं और उन्हें काफी प्रशंसा मिली। आपके द्वारा रचित हिंदी साहित्य की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक आपकी विभिन्न कहानियाँ और रचनाएँ कई विश्वविद्यालयों में प्रकाशित हो चुकी हैं, 02 पीएचडी थीसिस लिखी गई हैं। आपके महत्वपूर्ण कार्यों में काला सागर, गांव की कीमत, क्या हुआ, पासपोर्ट का रंग, बेघर आंखें, सीधी रेखा और कविता "तुम्हारा घर है तुम्हारा" भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है पत्रकारिता भी आपका विशेष क्षेत्र रहा है। कई महत्वपूर्ण पुस्तकों के अनुवाद के अलावा साप्ताहिक संपादकीय ने आपको विशेष पहचान दिलाई, हरियाणा, मध्य प्रदेश, केंद्रीय हिंदी संस्थान, महाराष्ट्र, यूपी हिंदी संस्थान आदि की अकादमियों और संस्थानों ने आपको दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित किया है।
डॉ. विद्यासागर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तेजेन्द्र शर्मा विदेशी लेखकों में प्रेमचंद की तरह हैं, जिन्होंने समाज की विभिन्न समस्याओं को बहुत ही अनोखे और सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है।
प्रो.रेशमा परवीन ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसे व्यक्ति को देख रहे हैं जो एक अनूठी शैली की लेखक हैं और जिन्होंने आधुनिक समय में हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आपकी कहानियों में सामाजिक मुद्दों और विशेषकर महिलाओं के मुद्दों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है जिसे आपने सुंदर भाषा और अनूठे तरीके से प्रस्तुत किया है। तेजेंद्र शर्मा समाज की समस्याओं के बारे में सोचकर कहानियाँ लिखते हैं। 'कब्र का मुनाफा' कहानी में यह खूबसूरती से उजागर हुआ है।
इस अवसर पर तेजेन्द्र शर्मा ने अपनी शानदार कहानियों में से एक "कब्र का मुनाफा" लंदन में रहने वाला खलील मरने के बाद ऐसी वैसी जैसी जगह न दफना दिया जाए, उसके बगल वाला मुर्दा अच्छे स्टेटस का हो, मरने के बाद उसका मेकअप ठीक हो, इस लिए वो कब्र बुक कराया है।उसकी पत्नी उसके बगल में कब्र में भी लेटना नहीं चाहती । वह बुकिंग कैंसिल करा देती है। जिसमें उन्हें चार सौ डॉलर का मुनाफा हो जाता है। खलील यही बिजनेस करने की सोचता है। मि. शर्मा ने ग़ज़ल भी पढ़ी जिसे कार्यक्रम में भाग लेने वालों ने काफी पसंद किया और इस अवसर पर विभिन्न शोध विद्वानों ने उनसे प्रश्न भी पूछे जिनका उन्होंने काफी विस्तार से उत्तर दिया।
इस अवसर पर डॉ. शोभना जैन, डॉ. रेखा रानी शर्मा, डॉ. जफर गुलजार, डॉ. सैयदा बेगम, अरुणा सब्बरवाल, सूर्यकांत शर्मा, ज्योति शर्मा, तरुण कुमार साहू, रूबी कुमारी, अनुज मेहता, रूबी कुमारी, उज्मा सहर, शहनाज परवीन और मोहम्मद शमशाद आदि जुड़े रहे।
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