भारत में अल्पसंख्यक सबसे अधिक सुरक्षित, अमेरिका की रिपोर्ट गलत- आचार्य लोकेश मुनि

जो वतन का वफ़ादार नही, वो वतन में रहने लायक नही - इस्लामिक विद्वान मुफ़्ती शाहआलम मज़ाहिरी

सुभारती की सरज़मीं से सभी धर्म के विद्वानों ने सौहार्द के साथ दिया ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ का संदेश

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ विभिन्न मतों के दृष्टिकोण से के विषय पर विभिन्न मतों के विद्वानों द्वारा परिचर्चा का हुआ आयोजन

मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय एवं अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक भारत श्रेष्ठ भारत विभिन्न मतों के दृष्टिकोण से के विषय पर विभिन्न मतों के विद्वानों ने परिचर्चा में शिरकत की।

कार्यक्रम स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवाहन पर उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ, प्रदेश के संस्कृति मंत्री  जयवीर सिंह  एवं प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग  मुकेश कुमार मेश्राम की प्रेरणा से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ विषय के अंतर्गत आयोजित किया गया।

सुभारती फाइन आर्टस कॉलेज के सत्यजीत रे प्रेक्षागृह में परिचर्चा का शुभारंभ हिन्दू मत के विद्वान स्वामी दिपांकर महाराज, मुस्लिम मत से मुफ्ती शाहआलम मज़ाहिरी, जैन मत से आचार्य लोकेश मुनि व पंडित संदीप सजल, सिख मत से डॉ. कर्मेन्द्र सिंह, बहाई मत से डॉ. ए.के.मर्चेंट, ईसाई मत से रेव रिनवी नोएल, बौद्ध मत से भंते डॉ. धम्मापिया, ब्रह्मकुमारी लक्ष्मी व रतना बहन, कुलाधिपति श्रीमती स्तुति नारायण कक्कड़, सुभारती समूह के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण, कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल, प्रतिकुलपति डॉ.हिमांशु ऐरन, कार्यक्रम संयोजक डॉ.हिरो हितो ने तथागत बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित व पुष्प अर्पित करते हुए किया।

 इस दौरान सभी धर्म गुरूओं ने एक दूसरे का हाथ थाम कर सुभारती की सरज़मीं से एक भारत श्रेष्ठ भारत के संदेश के साथ देश को शिखर पर पहुंचाने का संकल्प लिया। सभी दर्शकों ने आपसी सौहार्द के इस ऐतिहासिक क्षण पर खड़े होकर तालियां बजाई।सुभारती परिवार की ओर से सभी धर्म गुरूओं को अंगवस्त्र पहनाकर एवं पौधा भेंट कर स्वागत किया गया।

सुभारती समूह के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण ने सभी धर्म गुरूओं का अभिनंदन किया। उन्होंने कार्यक्रम का परिचय देते हुए कहा कि सुभारती समूह की विचारधारा स्वामी विवेकानन्द, तथागत बुद्ध एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आदर्श पर स्थापित है। उन्होंने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत का निर्माण देश के सभी धर्मों के बीच प्रेम, करूणा, मैत्री तथा समन्वय स्थापित कर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अपने अपने धर्मों की सीमाओं में रहकर एक दूसरे धर्म का सम्मान, सहयोग व सहायता करने से हमारा देश बुलंदी के शिखर पर पहुंचेगा। उन्होंने सुभारती समूह द्वारा विभिन्न ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व चिकित्सा हेतु संचालित किये जा रहे अस्पताल व स्कूल से सभी को रूबरू कराया। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय की गुणवत्ता युक्त शिक्षा पद्धति के मंत्र शिक्षा, सेवा, संस्कार एवं राष्ट्रीयता के भाव से भी सभी को अवगत किया। उन्होंने कहा कि सुभारती समूह विभिन्न मतों को एक मंच पर लाकर देश हित के उद्देश्य से भारत को विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाने हेतु कार्य कर रहा है, इसी प्रेरणा से एक भारत श्रेष्ठ भारत विभिन्न मतों के दृष्टिकोण के विषय पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश लखनऊ, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, उत्तर प्रदेश के यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी, प्रदेश के संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह जी एवं प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग श्री मुकेश कुमार मेश्राम का आभार व्यक्त किया।

हिन्दू मत के विद्वान स्वामी दिपांकर महाराज ने कहा कि सनातन भारतीयता की पहचान है और भारत देश हमेशा से एकता व सौहार्द का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि आज़ादी का सही मूल्यांकन नही किया गया है, क्योंकि देश को आज़ादी हर धर्म के लोगो ने मिलकर दिलाई थी। उन्होंने एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने हेतु देशवासियों को संदेश देते हुए कहा कि आपसी तालमेल, प्रेम, सेवाभाव जो हमारे प्राचीन संस्कार है उन्हें अपना कर देश को सर्वश्रेष्ठ बनाया जा सकता है।

जैन मत से आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि धर्म जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नही। उन्होंने कहा कि देश में विकास व कल्याण के विषय पर मतभेद होना चाहिए न कि मनभेद हो। उन्हांने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों के विषय पर दी गई रिपोर्ट जिसमें उन्हें असुरक्षित बताया गया है, वह बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि विश्व में अल्पसंख्यक भारत देश में सबसे ज्यादा सुरक्षित है और सुभारती के मंच ने यह साबित कर दिया है, कि सभी धर्म के लोग सौहार्द से एक दूसरे के साथ रह सकते है, जो समय की बड़ी आवश्यकता है।  

 इस्लामिक विद्वान मुफ़्ती शाहआलम मज़ाहिरी ने कहा कि वतनपरस्ती हमारा ईमान है। जो मुल्क का वफ़ादार नही, वह मुल्क में रहने लायक नही। उन्होंने कहा कि भारत की तरक्की के लिये देश में इंसानियत को बढ़ाने की जरूरत है, जिसमें सभी धर्मों के लोग एक दूसरे का सम्मान करते हुए आपसी भाईचारा कायम करने का काम करे। उन्होंने सुभारती समूह के द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने हेतु शिक्षा व चिकित्सा के साथ मानव कल्याण की दिशा में किये जा रहे कार्यो की सराहना करते हुए उनसे सभी को प्रेरणा लेने की अपील की।  

 इसी क्रम में सिख मत से डॉ. कर्मेन्द्र सिंह व मनजीत सिंह कोचन, बहाई मत से डॉ. ए.के.मर्चेंट, ईसाई मत से रेव रिनवी नोएल, बौद्ध मत से भंते डॉ. धम्मापिया, जैन मत से पंडित संदीप सजल, ब्रह्माकुमारी रतना बहन ने एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने हेतु अपने अपने विचार रखकर सभी का ज्ञान वर्धन किया।

कार्यक्रम संयोजक डॉ.हिरो हितो ने बताया कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ कार्यक्रम के अंतर्गत त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रबुद्ध विद्वानों द्वारा परिचर्चा तथा एक भारत, श्रेष्ठ भारत विषय पर विभिन्न मतावलंबी विद्वानों द्वारा परिचर्चा आयोजित की गई है। 

कार्यक्रम में सुभारती समूह के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण द्वारा रचित सर्व धर्म मंत्र चलाया गया। जिसे सभी धर्म के गुरुओं ने सहर्ष एक दूसरे का हाथ थाम कर गुनगुनाया।

सुभारती फाइन आर्ट कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया गया। सभी धर्मगुरुओं को सुभारती परिवार की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।मंच का कुशल संचालन लॉ कॉलेज के डीन डॉ.वैभव गोयल भारतीय ने किया।धन्यवाद ज्ञापन प्रतिकुलपति डॉ.हिमांशु ऐरन ने दिया।

इस अवसर पर सीईओ डॉ.शल्या राज, वरिष्ठ समाजसेवी शिब्बनलाल स्नेही,  प्रमोद प्रधान (घाट), एडवोकेट वी.के.शर्मा, मनोज शर्मा, शादाब खान, डॉ.फहीम, इमरान, अशोक टकसालिया, कुलसचिव एम याकूब, सैयद ज़फ़र हुसैन, डॉ.पिन्टू मिश्रा, कर्नल राजेश त्यागी, डॉ.सरताज अहमद, डॉ. मुकेश रूहेला, समीर सिंह आदि सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

बौद्ध विद्वान, कुलाधिपति धम्मदीपा इंटरनेशनल बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी पूज्य डॉ धम्मपिया ने कहा कि तथागत बुद्ध के आदर्श हमेशा से समानता व मानवकल्याण हेतु रहे है। 

उन्होंने कहा कि भारत की धरती से बौद्ध धर्म ने उदय होकर विश्व को एकता, समानता, सम्मान का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि बौद्ध दृष्टिकोण से, "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" की अवधारणा को एकता, करुणा और सामान्य भलाई जैसे मूल सिद्धांतों के साथ संरेखित किया जा सकता है। बौद्ध धर्म परस्पर जुड़ाव और इस विचार पर जोर देता है कि सभी प्राणी एक बड़े समग्र का हिस्सा हैं। एकीकृत भारत को बढ़ावा देना सद्भाव और सामूहिक कल्याण के बौद्ध आदर्श के साथ संरेखित है। उन्होंने कहा कि एक एकीकृत भारत में, जहाँ विविधता को अपनाया जाता है और विभिन्न संस्कृतियाँ और समुदाय शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहते हैं, करुणा और प्रेम-दया के सिद्धांतों को व्यवहार में लाया जाता है। ऐसा दृष्टिकोण नागरिकों को व्यक्तिगत मतभेदों को पार करते हुए साझा लक्ष्यों और मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आम भलाई के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।उन्होंने सुभारती समूह द्वारा बौद्ध धर्म हेतु किये जा रहे कार्यो की सराहना की। 

तीन दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय परंपराओं में बुद्ध विषय पर अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी समापन हुआअंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के निदेशक डॉ राकेश सिंह, एक भारत श्रेष्ठ भारत के नोडल अधिकारी व सहायक निदेशक डॉ राजेश अहिरवार को धन्यवाद दिया।

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