प्रतिरोधक क्षमता की कमी
इलमा अजीम
भारत में कैंसर तेजी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया कि कैंसर तेजी से युवाओं को प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि युवा पीढ़ी में बढ़ते कैंसर के खतरे की वजह तंबाकू व शराब का सेवन है। वहीं दूसरी ओर मोटापा भी एक बड़ा कारक है। जिसके मूल में युवाओं का निष्क्रिय जीवन भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर के मामले बढ़ने की एक वजह प्रोसेस्ड भोजन का अधिक सेवन भी है। दुर्भाग्य से चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि दो तिहाई मामलों में कैंसर का पता तब चलता है जब तक उपचार में देर हो चुकी होती है। दरअसल, देश में कैंसर की समय रहते जांच कराने के प्रति उदासीनता के चलते भी इस जानलेवा रोग का देर से पता चलता है। ऐसे में सरकार और सामुदायिक स्तर पर कैंसर को लेकर देशव्यापी अभियान चलाने की जरूरत है। कम से कम लोगों को इस बात के लिये मानसिक रूप से तैयार किया जाए कि प्राथमिक संकेत मिलने पर समय रहते जांच तो करा ही लेनी चाहिए। स्वयं सेवी संगठन ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सचेत कर सकते हैं। भारत में हर साल कैंसर के दस लाख नये मामले दर्ज किये जाते हैं। आशंका जतायी जा रही है कि यह वृद्धि वर्ष 2025 तक वैश्विक औसत को पार कर जाएगी। दरअसल, युवाओं के मामलों को संभालने के लिये एक विशिष्ट केंद्रित दृष्टिकोण की जरूरत होती है। यह देश के कामकाजी वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। जिसके लिये उन्हें जीवनशैली में बदलाव के लिये प्रेरित किया जा सकता है। साथ ही प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का पता लगाने वाली प्रभावी स्क्रीनिंग रणनीति को प्रोत्साहित करके संकट को दूर किया जा सकता है। सही मायनों में भारत को इस छद्म महामारी से मुकाबले के लिये अच्छी तरह से तैयार रहना होगा। यह खतरा बड़ा है और इसमें कैंसर की प्रभावी देखभाल को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। समय की जरूरत है कि कैंसर विषयक अनुसंधान को विशिष्ट महत्व दिया जाए।
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