बिकती मिली भारत में बैन लाल मुनिया चिड़िया

वनविभाग की टीम ने मारा छापा, आरोपी हाथ छुड़ाकर मौके से फरार
मेरठ। रविवार को वन विभाग व लालकुर्ती पुलिस ने लालकुर्ती क्षेत्र में छापा मारा जहां पर प्रतिबंधित लाल मुनिया बिकती मिली। टीम ने दो व्यक्तियों को हिरासत में लिया जिसमें एक व्यक्ति पुलिस से छूट कर भाग लगाया। वन विभाग की ओेर मुकदमा दर्ज कराया गया है। फरार आरोपी की तलाश में पुलिस जुटी है। 
देश  में बैन लालमुनिया चिड़िया मेरठ में बिकती मिली। प्रतिबंधित पक्षियों को बेचने वाला आरोपी मौके से पुलिसकर्मियों का हाथ छुड़ाकर फरार हो गया। वनविभाग और पुलिस की टीम खड़ी मुंह ताकती रह गई। आरोपी का एक साथी पकड़ में आया है जिस पर नियमानुसार मुकदमा लिखा जा रहा है।
वनविभाग को सूचना मिली कि इलाके में प्रतिबंधित लालमुनिया चिड़िया बेची जा रही है। नियमानुसार टीम छापा मारने पहुंची। तो राजन ठाकुर, राजा खान के घर काफी संख्या में लालमुनिया चिड़िया मिली। पूछताछ में पता चला कि ये लोग इन पक्षियों की खरीद फरोख्त करते हैं।मौके से टीम ने दो लोगों को वन्य जीव संरक्षण अधिनयम 1972 का उल्लंघन करने पर संरक्षण प्राप्त लाल मुनिया चिड़िया (amandava ) के साथ गिरफ्तार किया। तभी एक आरोपी मौके से पुलिस से हाथ छुड़ाकर भाग गया। पुलिस दूसरे आरोपी को पकड़कर थाने लाई है। जहां उससे पूछताछ हो रही है। वहीं उसके साथी की तलाश भी की जा रही है।

7 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान

वन्य जीव संरक्षण 1972 (यथा संशोधित 2022) की द्वितीय अनुसूची के क्रमांक संख्या 621 पर लाल मुनिया(amandava amandava) प्रतिबंधित पक्षी है। इसकी खरीद, फरोख्त नहीं हो सकती। अगर ऐसा होता है तो संबंधित व्यक्ति वन्य जीव (संरक्षण) 1972 (यथा 2022) के अंतर्गत दंडनीय होगा। पक्षी हरी मुनिया,लाल मुनिया ,जंगली तोता ,उल्लू व अन्य जंगली पक्षी ,कछुआ ,अजगर ,सर्प ,हिरण , लंगूर सभी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 (यथा संशोधित 2022) के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त हैं जिनका किसी भी प्रकार का क्रय -विक्रय ,पालन करना दंडनीय अपराध है एवं 7 वर्ष तक कारावास या रुपया 1 लाख तक जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts