विद्युत कनेक्शन देने के नाम पर घूस मांगने वाला धरा गया

पीडी के बाद भी कनेक्शन न काटने वालों पर भी जल्द गिरेगी गाज
 मेरठ। मुख्यमंत्री कार्यालय व चेयरमैन स्तर पर चल रही जांच मेरठ। मेरठ बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार चरम पर है। आए दिनों भिन्न-भिन्न प्रकरणों में रिश्वत की घटनाएं यहां आम बात है, जबकि यह विद्युत राज्यमंत्री का गृह जनपद भी है। बुधवार को भी विद्युत कनेक्शन देने के नाम पर एंटी करप्शन टीम ने अवर अभियंता अनिल कुमार को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
विद्युत विभाग मेरठ में न केवल कनेक्शन देने पर बल्कि कनेक्शन विच्छेदन कराने पर भी बड़ा खेला होता है। हनुमान चौक पर 274, सरकुलर रोड स्थित एम्प्रेस कोर्ट पर स्थाई विच्छेदन होना है। उपभोक्ता संदीप कुकरेजा का किराएदार से किरायानामा समाप्त होने के बाद अपनी बिल्डिंग में स्थाई विच्छेदन के लिए ढाई माह से भी अधिक समय से बिजली विभाग के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक चक्कर काट कर परेशान हो चुका है, लेकिन अधिशासी अधिकारी विद्युत नगरीय वितरण खंड द्वितीय विपिन कुमार सिंह के 11 मार्च 2024 को किए गए आदेश के बावजूद भी आज तक अवैधानिक रूप से स्थाई विच्छेदन नहीं किया गया है। 18 मार्च 2024 को दोपहर में कनेक्शन काट दिया गया था, लेकिन उसी शाम फिर जोड़ दिया गया। जबकि किरायानामा समाप्त होने के बाद किराएदार का अब अवैध कब्जा है।
किराएदार पिछले 15 महीने से किराया भी नहीं दे रहा, उपभोक्ता की इस कनेक्शन पर साढ़े तीन लाख की सिक्योरिटी भी फंसी हुई है। किरायानामा जनवरी 2019 में समाप्त हो चुका है। फिर भी मेरठ का बिजली विभाग एसडीओ से लेकर अधिशासी अभियंता और मुख्य अभियंता से निदेशक तक उपभोक्ता को मदद करने के बजाए किराएदार को मदद कर रहे हैं। क्या कारण हो सकता है यह बताने की जरूरत नहीं है।
उक्त प्रकरण एमडी ईशा दुहन के संज्ञान में भी है। उम्मीद की जा रही थी अपनी कार्यप्रणाली के विख्यात एमडी इस पर ठोस कार्यवाही करेंगी। लेकिन वो भी लगभग 15 दिन बीत जाने पर जवाब नहीं दे पाईं हैं कि जब उपभोक्ता अपना कनेक्शन स्थाई विच्छेदन कराना चाहता है, पीडी के आदेश हो गए हैं तो अब तक कनेक्शन विच्छेद कर पीड़ित उपभोक्ता को राहत देते हुए उसकी जमा साढ़े तीन लाख की सिक्योरिटी वापस करने के लिए कार्यवाही क्यों नहीं की गई।
अब ज्ञात हुआ है कि इस प्रकरण की जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व कारपोरेशन चेयरमैन आशीष गोयल व नियामक आयोग को देने के बाद जल्द ही बड़ी कार्यवाही देखने को मिल सकते है और इसमें एक नहीं बिजली विभाग के अनेक विकेट गिर सकते हैं।

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