महाशिवरात्रि पर्व
शहर के शिवालयों में सुबह से भक्तों की लंबी कतारें
शिवरात्रि पर औघड़नाथ के दर्शन को पहुंच रहे शिवभक्त, शाम को महाआरती का आयोजन
मेरठ। जिले में महाशिवरात्रि का पर्व हर्षाेल्लास के साथ मनाया जा रहा है।शहर के शिवालचयों में सुबह से भक्तों की भीड़ है। कैंट स्थित प्राचीन औघड़नाथ मंदिर में सुबह 4 बजे से भोर का जलाभिषेक प्रारंभ हो गया। भक्त शिवशंभू को जल अर्पित करने के लिए मंदिरों में पहुंचने लगे। मंदिरों में स्त्रियों, पुरुषों के लिए अलग-अलग पंक्तियां बनाकर दर्शन की व्यवस्था की गई है। शाम को भोलेनाथ की महाआरती भी होगी। कुछ मंदिरों से शिवबारात भी निकाली जाएगी।वही शहर के अन्य शिव मंदिरों में श्रदालुओं को पहचने को तांता लगा हुआ है।
कैंट स्थित प्रसिद्ध औघड़नाथ मंदिर का इतिहास बेहद पुराना और महत्वपूर्ण है। इस मंदिर को कालीपलटन मंदिर भी कहा जाता है। 1857 की क्रांति का प्रतीक यह मंदिर पश्चिमी यूपी में शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। पुरामहादेव, बिल्वेश्वर महादेव, दूधेश्वर महादेव के साथ मेरठ के औघड़नाथ मंदिर का विशेष महात्मय है।
बतादें कि 1857 की क्रांति के दौरान क्रांतिकारी सैनिकों ने इसी मंदिर में शरण ली थी। मंदिर में एक साधु थे, जिन्होंनें क्रांतिकारियों को फिरंगी फौजों से बचने में सहायता की थी। वो साधु कोई और नहीं भोलेनाथ का ही एक अवतार कहे जाते हैं जो अपने भक्तों की रक्षा हेतु साधु का वेष धर आए थे।
रुद्राभिषेक से मिलता है भोले का आर्शीवाद
महाशिवरात्रि पर रुद्र का अभिषेक भलदायी है। इस बार महाशिवरात्रि शुक्रवार को पड़ने के कारण गन्ने के रस, सुगंधित जल और लाल चंदन जल से रुद्राभिषेक करने से शुक्र ग्रह से संबंधित सभी परेशानियां दूर होंगी। ज्योतिषाचार्य महेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि ग्रह जनित दोषों और रोगों से शीघ्र ही मुक्ति के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है।भगवान शंकर सर्व कल्याणकारी देव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी पूजा अराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग, दुख से छुटकारा मिलता है। दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है। गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।मधु युक्त जल से अभिषेक करने से धन की वृद्धि होती है। तीर्थ जल से अभिषेक से मोक्ष की प्राप्ति, इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी दूर होती है। दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति और गंगाजल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है। घी से अभिषेक करने से वंश का विस्तार होता है। शहद से अभिषेक करने से पापों का क्षय होता है।
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