जल संसाधनों का कुप्रबंध
 इलमा अजीम 
पानी आवश्यकता ही नहीं, हमारे प्राणों से जुड़ा है। इसके लिए हम सबकी पहल जरूरी है, अन्यथा आने वाले समय में क्या देश और क्या दुनिया, सभी को प्यासे ही गुजर-बसर करना होगा। जल ही जीवन है। जल के बिना कल की कल्पना नहीं की जा सकती। जल संरक्षण, वॉटर रिजार्च और जन जागरूकता ही विकल्प हैं। लोगों की भागीदारी के बिना यह संभव नहीं है।  ताजा खबरों के अनुसार इस समय दुनिया में बढ़ता जल संकट वैश्विक स्तर पर तनाव और अस्थिरता में बढ़ोतरी कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस के मौके पर जारी एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी के लिए स्वच्छ जल की उपलब्धता दुनिया में शांति के लिए जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में फिलहाल करीब एक चौथाई मानवता यानी 2.2 अरब लोगों की पहुंच स्वच्छ पेयजल तक नहीं है और 3.5 अरब लोग स्वच्छ और साफ स्थितियों में जीवनयापन नहीं कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जल संकट का पहला शिकार बालिकाएं और महिलाएं होती हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं, क्योंकि परिवार के लिए पानी लाने और संग्रह करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से उन्हीं पर होती है। रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियों को अस्वच्छ हालात में दिन के कई घंटे पानी लाने और ले जाने में बिताने पड़ते हैं। इस कारण उनका स्कूल छूट जाता है। इसे रोकना चाहिए। जल उपलब्धता में कमी के कारण दुनिया में अराजकता के हालात पैदा हो रहे हैं। जल की कमी दुनिया भर में पलायन का प्रमुख कारण है और विस्थापित लोग जिन स्थानों पर बसते हैं वहां संसाधनों पर दबाव पड़ता है। चिंताजनक यह भी है कि जितना कम पानी उपलब्ध होगा, उतना ही वह प्रदूषित भी होता चला जाएगा। हमें 4000 अरब क्यूबिक मीटर पानी जो बारिश की कृपा से मिलता है, उसका हम मात्र 1100 क्यूबिक मीटर ही उपयोग में ला पाते हैं। अपने देश में 70 फीसदी पानी उपयोग के लिए अयोग्य पाया गया है। यही कारण है कि बोतलबंद पानी का व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है। ध्यान रहे, एक लीटर पानी की बोतल के पीछे तीन लीटर पानी खराब होता है और बोतलें प्लास्टिक प्रदूषण भी पैदा कर रही हैं। इस समय धरती पर पानी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी चपेट में भारत समेत दुनिया के कई देश हैं। भारत में ऐसे शहर हैं, जहां पानी के लिए हाहाकार मच सकता है। इन पांच शहरों में दिल्ली, राजस्थान का जयपुर, पंजाब का बठिंडा, मुंबई और चेन्नई शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जल संकट एक राष्ट्रव्यापी मुद्दा है। हमें यह समझना होगा कि पानी के बारे में हाथ पर हाथ धरे निश्चिंत रहने का समय बहुत पहले बीत चुका है। अब कोई भी बहाना, लापरवाही या गलती करने का मौका हमारे पास नहीं है। इसलिए यथाशीघ्र हमें पानी के संबंध में एकजुट होकर सक्रिय होना आवश्यक है।

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