राम कथा में राम के वनवास के साथ केवट द्वारा गंगा पार करने का किया वर्णन  

मेरठ।भोलेश्वर मंदिर नई सड़क पर राम कथा के सप्तम दिवस में व्यास पीठ से आचार्य राकेश मोहन ने राम वनवास के साथ ही केवट द्वारा गंगा पर कराए जाने वर्णन किया 

उन्होंने केवट द्वारा नाव में सवार होने से पूर्व चरण धोने का प्रसंग , गंगा के मध्य नाव का लहरों पर हिचकोले लेने पर श्री राम द्वारा केवट से नाव को सावधानी पूर्वक खेने को कहा इस पर केवट द्वारा प्रभु से प्रार्थना की हे प्रभु हम भी तो जीवन मरण के भव सागर में हिचकोले खा रहे है आप भी हमारा हाथ अगर पकर लो तो हम भी इस भव सागर से मुक्ति मिलेगी ,गंगा पार उतरने के बाद राम जी  केवट राज को कुछ न देने का संकोच था क्योंकि राम जी के पास कुछ नही था सीता जी राम की स्थिति भाप कर अपनी राम नामी मुद्रिका भेट करनी चाही तब केवट राज ने कहा की आप ने मुझको ही नही पूरे परिवार को तार दिया ही अब मुझको कुछ नही चाहिए फिर भी अगर आपका आदेश हे तो आप मुझे 14वर्ष बाद वापसी में भी दर्शन देकर सेवा का अवसर दे देना तब आप जैसा कहेंगे में उसको स्वीकार करूंगा।

राम  ने मुस्कुराते हुए केवट के दूरगामी भावना को समझ गए और बाल्मिकी आश्रम की तरफ बढ़ने लगे, उधर अयोध्या में राम वियोग में राजा दशरथ की मृत्यु  हो जाती है , भरत को ननिहाल से बुलवाया जाता है अयोध्या आने पर भरत को अयोध्या वासियों की नजरो में अपने प्रति असम्मान का भाव दिखता है  राज भवन में भी उदासी का माहोल देख कर शंका होती है माता  कोशल्या को श्वेत वस्त्रधारी होने पर ,,, मंथरा द्वारा सारा हाल बताने पर भरत ने क्रोधित होकर मंथरा को को राजमहल त्यागने और केकई को न मिलने का संकल्प लिया माता कोशल्या के समझाने पर पिता के कर्म पूरे किए और शोक काल के पूरे होने पर पूरे परिवार 3 मातो मंत्रियों सहित अन्य प्रतिनिधियों को लेकर राम जी को वापस अयोध्या वापस लाने निकल पड़े।।व्यास पीठ का पूजन डा शरद, रजत ,चेतन चौधरी  द्वारा परिवार सहित किया वा आरती भाजपा नेता आलोक सिसोदिया द्वारा की गई ।

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