सचेत होने की जरूरत
इलमा अजीम 
खाद्य पदार्थों में मिलावट आज विश्वव्यापी समस्या है। हाल में ही कुट्टू के आटे के व्यंजन खाने से सैकड़ों लोग बीमार हो गए। दरअसल अधिकांश लोग यह जाने बिना कि उसमें मिलावट है, खाद्य पदार्थों का सेवन कर लेते हैं जिससे उपभोक्ता विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। जनसंख्या में वृद्धि, शहरीकरण, भोजन की कमी और अनुचित लाभ की लालसा के कारण मिलावट ने भयंकर रूप धारण कर लिया है। इस तरह के कदाचार का अंतिम लक्ष्य ज्यादातर उपभोक्ता होते हैं जो अनजाने में इन खाद्य पदार्थों को खरीदते और खाते हैं तथा विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीडि़त हो जाते हैं। मिलावटी भोजन से उपजी बीमारियों के उपचार के लिए बाजार में दूषित दवाओं से या तो मौत हो जाती है या उपचार ताउम्र ही चलता रहता है जिससे उस परिवार की माली हालत खराब हो जाती है। दूषित दवाइयों से सारी दुनिया ही ग्रसित है और ये मौत का कारण भी हैं। इसी तरह से दिल्ली में कैंसर के मरीजों की कीमोथेरेपी के नकली इंजेक्शन के साथ कई लोग पकड़े गए हैं। दूषित दवाओं से बहुत सी मौतें हुई हैं और हो रही हैं। ये सब दवाइयों में गुणवत्ता की उपेक्षा के कारण हैं। देश में दवाइयों की खपत के बाद करीब 183 अन्य देशों में दवाइयां निर्यात की जाती हैं। प्रमुख खाद्य पदार्थों में भी मिलावट होती है। इनमें गेहूं-चावल में कंकड़/मिट्टी, सरसों तेल में सस्ता पाम आयल, हल्दी में लैड क्रोमेट और पीली मिट्टी, दूध में यूरिया व डिटर्जेंट, मिर्च में लाल ईंट पत्थर पाउडर, फल-सब्जी में कृत्रिम रंग, रेलवे स्टेशनों एवं बस अड्डों पर मिलावटी दूध की चाय आदि शामिल हैं जिनसे विभिन्न बीमारियां होती हैं, जैसे हृदय रोग, गुर्दों पर दुष्प्रभाव, लीवर-मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव, पेट रोग आदि। बहुत से लोग इन बीमारियों से ग्रसित हैं। खाद्य सुरक्षा कानूनों के ढीले कार्यान्वयन और उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता की कमी के कारण ही खाद्य पदार्थों में मिलावट बड़े पैमाने पर हो रही है। उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों एवं जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।

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