पानी के महत्व के बारे में छात्र छात्राओं को दी जानकारी 

मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के लिबरल आर्ट्स एवं ह्यूमैनिटीज विभाग में विश्व जल दिवस के अवसर पर एक शपथ-ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ-चढ कर भाग लिया। पानी के महत्व को समझाने और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विश्व जल दिवस  मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम ‘शांति के लिए जल’ है। 

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अमृता चौधरी ने जल-संरक्षण के महत्व को बताते हुए की। विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार त्रिपाठी ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जो दिव्य जल हमें आकाश से वर्षा द्वारा प्राप्त होता है, जो जल खोदकर कुओं, जलाशयों से निकाला जाता और जो नदियों में प्रवाहित हो अपनी पवित्रता बिखेरते हुए समुद्र की ओर प्रस्थान करता है, हम उस दिव्य, पवित्र जल को प्रणाम कर अपनी जीवन रक्षा की प्रार्थना करते हैं।  (ऋग्वेद)। जिन देवी-देवताओं को हमने कभी देखा नहीं हैं, उनके मंदिरों और उनकी स्तुतियों ने हमारे जीवन का बड़ा हिस्सा घेर रखा है। जो जीवित देवी-देवता हमारी आंखों के आगे हैं, यदि हमने उनकी भी इतनी ही चिंता की होती तो यह दुनिया आज स्वर्ग से भी सुन्दर होती। हमारे वास्तविक देवी-देवताओं में ऊपर सूरज, नीचे धरती तथा जल और बीच में हवा है। यही चार प्रामाणिक देवी-देवता हैं जो सृष्टि की रचना भी करते हैं और पालन भी। इनके बगैर कोई भी जीवन संभव नहीं। सूरज हमारे नियंत्रण में नहीं। उसकी अपनी गति है जिसपर हम आश्रित हैं। धरती हमारी देखभाल की मोहताज़ नहीं। वह हमारी गंदगी भी अपने सीने में छुपाकर हम पर हरियाली और सौंदर्य लुटाती रही है। बाकी दो देवता - हवा और जल ऐसे हैं जिन्हें हमारी देखभाल, सम्मान और संरक्षण की आवश्यकता है। आज विकास की अंधी दौड़ में जिस विशाल स्तर पर हम हवा और पानी को प्रदूषित करने में लगे हैं, उससे पृथ्वी के अस्तित्व पर ही संकट उपस्थित हो गया है। लगातार आने वाली खबरें इसकी तस्दीक करती हैं। हमारे अनाचार के कारण हमारी नदियां जहरीली भी हो रही है और सिकुड़ भी रही हैं। तालाब और जलाशय मर रहे हैं। धरती के भीतर पानी का स्तर गिर रहा है। भविष्य के जल संकट की आहटें साफ़ सुनाई देने लगी हैं। यदि समय रहते हम नहीं जगे तो विनाश दूर नहीं। कहा भी जा रहा है कि अब अगला विश्वयुद्ध भूमि या सत्ता के लिए नहीं, जल के लिए लड़ा जाएगा।  आज 'विश्व जल दिवस' है। पानी के संरक्षण और उसकी उचित खपत के संदेश को प्रसारित करने के लिए पूरी दुनिया इस दिवस को मनाती है। आज के दिन हम सबको बधाई  अथवा  शुभकामनाओं की नहीं, चेतावनी की ज़रुरत है ! हमें अब चेत जाना चाहिए।  महानगर मुनादी कर रहे हैं। उन्होंने छात्रों एवं शिक्षकों को जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई।

कार्यक्रम में डॉ. दुर्वेश पुंडीर, डॉ. नियति गर्ग, डॉ. नेहा, डॉ. मानस उपस्थित रहे। छात्र-छात्राओं में मयंक कुमार, अमन यादव, कुमारी मोनिक, निकिता सिरोही, अंशु कुमार, प्रिया, वर्णिका, मंजीत, पुनीत, निशांत,वासु, उज्ज्वल, पेमा एवं श्रेय अत्री कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ. अमृता चौधरी ने किया।

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