स्वामी विवेकानंद अरुणोदय विद्यालय में हुई बच्चों की टीबी की जांच

 

-          क्षय रोग विभाग ने टीबी के लक्षण युक्त पांच बच्चों के लिये स्पुटम के नमूने 

-          टीबी की पहचान और निदान के बारे में बताया

 

हापुड़, 19 फरवरी, 2024प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत सूर्य विहार स्थित स्वामी विवेकानंद अरुणोदय विद्यालय में क्षय रोग विभाग की टीम ने बच्चों की टीबी की स्क्रीनिंग (जांच) की। इस मौके पर बच्चों को टीबी की पहचान और निदान के बारे में विस्तार से बताया गया। आठवीं तक के इस विद्यालय का संचालन मेरिनो इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा पोषित श्री प्रेमचंद लोहिया मेमोरियल ट्रस्ट करता है। ट्रस्ट प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में जिला क्षय रोग विभाग के सक्रिय सहयोगी के रूप में काम कर रहा है। हर माह एकीकृत ‌निक्षय दिवस के मौके पर ट्रस्ट की ओर से गांव-गांव निक्षय शिविर का आयोजन किया जाता है।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी के कुशल निर्देशन में जिला क्षय रोग विभाग की टीम जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह के नेतृत्व में सोमवार को स्वामी विवेकानंद अरुणोदय विद्यालय पहुंची। डा. राजेश सिंह ने ट्रस्ट के चिकित्सा अधिकारी डा. प्रहलाद सहाय अग्रवाल के सहयोग से बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इस मौके पर ट्रस्ट के महाप्रबंधक मानवेंद्र नाथ सान्याल और विद्यालय की प्रधानाचार्या रूमा शुक्ला भी मौजूद रहीं। 

डीटीओ डा. राजेश सिंह ने बच्चों को बताया- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री का संकल्प पूरा करने के लिए जरूरी है कि हम टीबी के बारे में जानें। लक्षण नजर आने पर तुरंत जांच कराएं और जांच में टीबी की पुष्टि होने पर नियमित उपचार लें। टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है लेकिन अधिकतर यह फेफड़ों को प्रभावित करती है। फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है और यह सांस के जरिए फैलती है। इसलिए जांच और उपचार में देरी खतरनाक है। उपचार शुरू होने तक रोगी के संपर्क में रहने वालों को भी टीबी का संक्रमण होने का खतरा रहता है। 

डीटीओ ने बताया - उपचार शुरू होने के दो माह बाद रोगी के संपर्क में रहने वालों को टीबी होने का खतरा नहीं रहता। अब हमारे पास टीबी की अच्छी दवाएं उपलब्ध हैं। अधिकतर मामलों में नियमित रूप से छह माह तक दवा खाने से टीबी ठीक हो जाती है। उन्होंने बच्चों को बताया- दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार रहनाखांसी में बलगम या खून आनारात में सोते समय पसीना आनावजन कम होनाथकान और सीने में दर्द रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर टीबी की जांच करानी चाहिए। डीटीओ ने बच्चों से यह जानकारी अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ शेयर करने का आग्रह किया।

जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया - टीबी की जांच और उपचार सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगी के बैंक खाते में सरकार उपचार जारी रहने तक हर माह पांच सौ रुपए भेजती है। यह धनराशि रोगी के पोषण के लिए होती है। टीबी रोगी को नियमित रूप से दवा खाने के साथ पौष्टिक आहार लेना जरूरी होता है। नियमित रूप से दवा खाने पर टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। सोमवार को कुल 120 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई। इनमें से पांच बच्चों में टीबी से मिलते-जुलते लक्षण पाए जाने पर स्पुटम (बलगम) का नमूना लिया गया। बाकी बच्चों की स्क्रीनिंग बुधवार को होगी। स्क्रीनिंग के दौरान वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक दीपक कुमार और वार्ड ब्वाय विनोद कुमार का भी सहयोग रहा।

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