सौर ऊर्जा और भारत
 इलमा अजीम 
भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व को नया रास्ता दिखाने की अपार क्षमता है। इस क्षेत्र में वह तेजी से काम कर रहा है। इससे उम्मीद की जा सकती है कि वह भविष्य में सौर ऊर्जा में अग्रणी बनकर उभरेगा।कार्बन उत्सर्जन पर काबू पाने के लिए दुनिया भर में गैर जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा है। भारत के इस दिशा में प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या से लौटने के बाद देश में एक करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाने के लिए 'प्रधानमंत्री सूर्योदय' योजना का ऐलान किया है। यह ऐलान इस संकल्प के साथ किया कि देशवासियों के घर की छत पर उनका अपना सोलर रूफटॉप सिस्टम होना चाहिए। देखा जाए तो सूर्य सदैव से ही ऊर्जा का स्रोत रहा है। चिंता इस बात की है कि आधुनिकता की दौड़ में हम ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा पर निर्भर होते चले गए। इसका खमियाजा जलवायु परिवर्तन के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
 


प्रधानमंत्री की ओर से घोषित इस योजना को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह अच्छा कदम कहा जा सकता है। वैश्विक स्तर पर जिस तरह से जलवायु परिवर्तन के खतरे उभर रहे हैं, उसमें सभी देशों के लिए गैर जीवाश्म ईंधन ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना जरूरी हो गया है। वर्तमान में सौर ऊर्जा उत्पादन में हम विश्व में चौथे स्थान पर हैं। सरकार ने वर्ष 2030 तक देश में कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 65 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य रखा है। यह भी सराहनीय कहा जाएगा कि भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता नौ साल में 396 फीसदी बढ़ी है। इन तमाम प्रयासों के बावजूद भारत में कोयला आधारित ऊर्जा पर निर्भरता घटाने में समय लग सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी एक रिपोर्ट में कहा है कि भयावह स्वास्थ्य प्रभावों को रोकने के लिए दुनिया को धरती के तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करनी होगी। हालांकि इस मामले में दुनिया के अमीर देशों की जो स्थिति है, उसमें यह लक्ष्य पाने की उम्मीद कम ही दिखती है। भारत अपनी तरफ से सहयोग के पूरे प्रयास कर रहा है। देश में सौर ऊर्जा पर ध्यान दिया जा रहा है। भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व को नया रास्ता दिखाने की अपार क्षमता है। 

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