40 साल बाद पारंपरिक बग्गी में  परेड स्थल आई राष्ट्रपति

कर्तव्य पथ पर शंखनाद से परेड की शुरुआत

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ से 75वें गणतंत्र दिवस का नेतृत्व किया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन परेड में मुख्य अतिथि रहे। दोनों राष्ट्रपति ‘पारंपरिक बग्गी’ में परेड स्थल पर पहुंचे। पारंपरिक बग्गी में आने की प्रथा 40 वर्षों के अंतराल के बाद इस साल फिर शुरू की गई है। परेड में भारत की समृद्ध बढ़ती नारी शक्ति को प्रदर्शित किया गया। परेड की शुरुआत महिला कलाकारों ने शंख, नादस्वरम, नगाड़ा आदि बजाते हुए मधुर संगीत के साथ की।



कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुए सभी महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी की पहली भागीदारी का भी गवाह बना। सलामी उड़ान (फ्लाई-पास्ट) के माध्यम से महिला पायलटों ने नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व किया। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की टुकड़ियों में भी महिला कर्मी शामिल हुईं। ‘विकसित भारत’ और ‘भारत-लोकतंत्र की मातृका’- दोनों विषयों पर आधारित इस वर्ष की परेड में लगभग 13,000 विशेष अतिथियों ने भाग लिया।



गणतंत्र दिवस समारोह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पहुंचने के साथ शुरू हुआ, जहां उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित करके शहीद नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। परंपरा के अनुसार, सबसे पहले राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। इसके बाद राष्ट्रगान और स्वदेशी बंदूक प्रणाली 105-एमएम इंडियन फील्ड गन के साथ 21 तोपों की सलामी दी गई। फिर 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के चार एमआई-17 IV हेलीकॉप्टर ने कर्तव्य पथ पर उपस्थित दर्शकों पर फूलों की वर्षा की।

राष्ट्रपति के सलामी लेने के साथ परेड शुरू हुई। सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों के सम्मानित विजेताओं में परमवीर चक्र विजेता भी शामिल रहे। कार्तव्य पथ, फ्रांसीसी सशस्त्र बलों के संयुक्त बैंड और मार्चिंग दल के मार्च पास्ट का गवाह बना। 30 सदस्यीय बैंड दल का नेतृत्व कैप्टन खुरदा ने किया। इसके बाद 90 सदस्यीय फ्रांसीसी मार्चिंग दल आया। एक मल्टी-रोल टैंकर परिवहन विमान और फ्रांसीसी वायु तथा अंतरिक्ष बल के दो राफेल लड़ाकू विमानों ने सलामी मंच से आगे बढ़ते समय टुकड़ियों के ऊपर उड़ान भरी।

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