गायब है भ्रष्टाचार का मुद्दा
 इलमा अजीम 
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा वायदों की लोकलुभावन घोषणाओं के बीच से भ्रष्टाचार का मुद्दा गायब है। विशेषकर गैर भाजपा दलों ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाना जरूरी नहीं समझा। किसी भी विपक्षी दल ने चुनावी घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार मिटाने का जिक्र तक नहीं किया, जबकि भाजपा सरेआम भ्रष्टाचार के मामलों में विपक्षी दलों के नेताओं पर निशाना साध रही है। विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ बदनीयती से ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के जरिए चुनावी फायदे का आरोप लगा रहे हैं, किन्तु यह नहीं बता रहे कि भ्रष्टाचार आखिर खत्म कैसा होगा। देश के प्रधानमंत्री पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी उद्योगपतियों से मिलकर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। चुनावी सभाओं में राहुल गांधी ने इसे प्रमुख मुद्दा बनाया हुआ है। इसके बावजूद राहुल गांधी या कांग्रेस इस मुद्दे पर अदालत के जरिए कानूनी कार्रवाई से कतरा रहे हैं। इससे यही साबित होता है कि ये आरोप सिर्फ चुनावी फायदे के लिए लगाए जा रहे हैं। इसके विपरीत ईडी और सीबीआई की कार्रवाई विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ लगातार जारी है। दिल्ली में शराब घोटाले के केस में केजरीवाल की पार्टी के तीन बड़े नेता पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री मोदी भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार विपक्षी दलों पर हमला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सभाओं में घोटालों की बात की, भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, फिर कहा कि जनता का पैसा खाने वालों को लूट का माल भी लौटाना पड़ेगा और जेल भी जाना पड़ेगा। पांच राज्यों के चुनाव के दौरान केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई जारी है। तमाम लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इन कार्रवाइयों पर विपक्षी दलों के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं जाहिर की। विपक्षी दल दुर्भावना से कार्रवाई का आरोप लगाने तक सीमित हैं। भ्रष्टाचार से निपटने का उपाय कोई राजनीतिक दल नहीं देता। कैसे भ्रष्टाचार को जड़-मूल से उखाड़ा जाएगा। इस मुद्दे को एक भी विपक्षी दल ने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया। 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts