उच्च शिक्षा और बेराेजगारी
इलमा अजीम
बेरोजगारी दर घटने की खबर के बीच चिंताजनक तथ्य यह भी है कि स्नातक स्तर की पढ़ाई करने के बावजूद पच्चीस बरस से कम उम्र के 42 फीसदी युवा नौकरी की तलाश में अब भी हैं। जाहिर है सरकारों के रोजगार के अवसर बढ़ाने के दावे दिखावटी ज्यादा होते हैं। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की ओर से जारी ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया’ शीर्षक वाली ताजा रिपोर्ट भी इसी ओर संकेत करती है कि बेरोजगारी के मुद्दे को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, जितनी जरूरत है।
बड़ा सवाल यही है कि हमारे युवा आखिर क्यों नौकरी की तलाश में भटकने को मजबूर हैं? चिंताजनक परिदृश्य यही है कि हमारे नीति नियंताओं के बेरोजगारी कम करने की दिशा में किए जाने वाले प्रयास सतही ही हो रहे हैं। रोजगार को यदि पढ़ाई से जोड़ा जाए तो यह बात सामने आती है कि जो जितना ज्यादा पढ़ा-लिखा है उसके सामने बेरोजगारी का संकट उतना ही बड़ा है। रोजगार का पढ़ाई से यों तो सकारात्मक संबंध होता है, पर देश में रोजगार की स्थिति इस तथ्य को नकारती नजर आती है। रिपोर्ट कहती है कि देश में अनपढ़ और कम पढ़े-लिखे मात्र 8 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं, जबकि स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर बेरोजगारी की दर इससे दोगुनी यानी 16 प्रतिशत से ज्यादा है। 25 साल की उम्र तक के स्नातकों में तो यह दर 42 प्रतिशत है। सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि हमारे शिक्षित युवाओं में रोजगार के अभाव में कितनी निराशा और हताशा पनप रही होगी। यह तर्क दिया जा सकता है कि स्नातकों और इससे ज्यादा शिक्षित युवाओं की रोजगार को लेकर पसंद-नापसंद होती है। साथ ही इनकी वेतन की अपेक्षाएं भी कुछ ऊंची होती हैं। असल बात यह है कि युवाओं की पसंद व अपेक्षा के अनुरूप न तो बाजार में मांग पैदा हो रही है और न ही रोजगार का सृजन हो पा रहा है। सरकारों की स्वरोजगार योजनाओं से दूरी बनाने की भी बड़ी वजह यही है कि इनमें कौशल विकास को बढ़ावा देने के प्रयास नजर ही नहीं आते। समस्या बड़ी इसलिए भी है क्योंकि बेरोजगारी का दंश युवा पीढ़ी को अपराध की दुनिया में धकेलने लगा है। यह सुनिश्चित करना सरकारों का काम है कि वे खुद तो रोजगार के नए-नए अवसर पैदा करें ही, निजी क्षेत्र को भी ऐसे अवसर बढ़ाने के लिए कहें। रिपोर्ट का अच्छा पहलू है कि कम पढ़े-लिखे और अनपढ़ लोगों की रोजगार की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है। मौजूदा स्थिति में सुधार और बेहतरी के लिए कौशलपूर्ण व्यक्तियों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है।
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