ऐसे आदेशों का क्या फायदा जब आदेश का पालन ही न हो 

रात को ढाई बजे तक पटाखों से वातावरण होता रहा दूषित 

 सांस लेने में लोगों को करना पड़ा परेशानी का सामना 

मेरठ। आदेश का किस प्रकार से सीधे तौर पर उल्लंघन होता है। इसका नजारा मेरठ में देखने को  मिला । तमाम प्रतिबंध व छापेमारी के बाद भी दीपावली पर जमकर आतिशबाजी की गयी। आधी रात के बाद तक आसमान पटाखों की आवाज से गूंजता रहा। जिसके कारण वातावरण इतना ज्यादा दूषित हो गया। लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पडा। 



 एनसीआर में सर्दी शुरू होते हुए बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दीपावली पर पूरे एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया था। इसके बावजूद जमकर आतिशबाजी की गई। रात ढाई बजे तक शहर के आसमान में रंगीन आतिशबाजी चमकती रही। दिवाली की रात पटाखों की आवाज से हवा गूंजती रही। पुलिस, प्रशासन आतिशबाजी पर रोक नहीं लगा सका। देर रात तक चले पटाखों के कारण सुबह से हवा की गुणवत्ता बिगड़ी हुई रही। मेरठ का AQI 319 पर रहा।



  सांस के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशान का करना सामना 

 आधी रात तक पटाखे छोड़ने के बाद हवा  जहरीली हो गयी। सड़कों पर चलने वालों को पूरी  परेशानी का सामना करना पड़ा । सबसे ज्यादा परेशानी सांस के मरीजों को हुई। उन्हें घरों में कैद होने के लिए मजबूर होना पड। 



ये कैसा अभियान 

दिवाली के 10 दिन पहले से पुलिस पटाखा बिक्री को लेकर अभियान चला रही थी। शहर से देहात तक कई जगहों पर पुलिस ने छापेमारी कर पटाखे जब्त किए थे। इसके बाद भी शहर में हर जगह खूब पटाखे चले। अनार, फुलझड़ी छोटे पटाखों के साथ लोगों ने सुतली बम, रॉकेट बम के साथ बड़े बम और लड़ियां भी खूब चलाईं। कहीं कोई रोक पटाखों पर नजर नहीं आई। दीवाली से पहले पुलिस ने शहर में कई जगहों पर छापेमारी करते हुए पटाखों के जखीरे पकड़े इसके बाद भी खूब पटाखे बेचे गए और चलाए गए। सवाल उठाता है। जब पुलिस छापेमारी कर रही थी तो इतनी बडी संख्या में पटाखे कहां से आए। 

 इससे साफ दिखाई लग रहा है। न तो बेचने वालों व न पटाखे छोड़ने वालों को नियमों का उल्लंघन करने में डर नहीं लगता है। 

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