टीबी के प्रति छात्राओं का किया गया संवेदीकरण
श्री जैन कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज में हुआ कार्यक्रम
- टीबी के लक्षण और बचाव के बारे में दी जानकारी
- कहा- अपने घर और आसपास वालों को भी बताएं
हापुड़, 06 नवंबर, 2023। बुलंदशहर रोड स्थित श्री जैन कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज में छात्राओं का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया। सोमवार को जिला क्षय रोग विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान छात्राओं को टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी देने के साथ ही टीबी के लक्षण और बचाव के बारे में बताया गया। छात्राओं को बताया गया - विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2030 में पूरी दुनिया से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत का संकल्प लिया है और इस संकल्प को जन समुदाय की भागीदारी से ही पूरा करना संभव है। कॉलेज की प्रधानाचार्य पारुल त्यागी ने जिला क्षय रोग विभाग का आभार व्यक्त किया। उन्होंने छात्राओं का आह्वान किया कि कार्यक्रम से मिली जानकारी को अपने परिजनों और आसपास रहने वाले अन्य लोगों तक भी पहुंचाएं ताकि समुदाय के सहयोग से टीबी मुक्त भारत अभियान का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने कहा - संभावित टीबी रोगी की पहचान करना मुश्किल नहीं है। दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ बलगम या खून आना, वजन कम होना, थकान रहना, भूख कम होना, सीने में दर्द रहना और रात में सोते समय पसीना आना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से यदि एक भी लक्षण हो तो टीबी की जांच करानी चाहिए। जांच में देरी रोगी और उसके परिवार के लिए घातक साबित हो सकती है, जबकि समय से जांच और उपचार शुरू होने पर टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) हसमत अली ने कहा- सामान्य तौर पर टीबी का उपचार छह माह तक चलता है, लेकिन बीच में दवा छोड़ने या खानपान का ध्यान न रखने पर उपचार की अवधि बढ़ जाती है। टीबी दो प्रकार की होती है -फेफड़ों की टीबी को पल्मोनरी और शरीर के दूसरे अंगों में होने वाली टीबी को एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। केवल पल्मोनरी टीबी ही संक्रामक है, यह सांस के जरिए फैलती है। खासकर रोगी के खांसते, छींकते और बोलते समय मुंह और नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट टीबी संक्रमण के वाहक होते हैं। उपचार शुरू होने के दो माह बाद रोगी से किसी दूसरे को संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता है। टीबीएचवी लाखन सिंह ने भी छात्राओं को टीबी के बारे में बताया।
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सभी टीबी यूनिट पर हुआ एलटी प्रशिक्षण
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने बताया - पिछले दिनों जनपद के दौरे पर आईआरएल ( इंटरमीडिएट रेफरल लैब) टीम की संस्तुति पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील त्यागी के निर्देशन में सोमवार को सभी आठ टीबी यूनिट पर लैब टेक्नीशियन (एलटी) का प्रशिक्षण हुआ। डीएमसी (डैजिग्नेटेट माइक्रोस्कॉपिक सेंटर) पर तैनात एलटी को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है। पीपीसी (जच्चा-बच्चा केंद्र) कोठीगेट स्थित टीबी यूनिट पर हुए प्रशिक्षण में वह स्वयं (डीटीओ), जिला कार्यक्रम समन्वयक दीपक शर्मा, पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी और एसटीएस हसमत अली भी मौजूद रहे। यहां एसटीएलएस बृजेश कुमार ने प्रशिक्षण दिया। एलटी अमित त्रिवेदी ने बताया - प्रशिक्षण के दौरान बलगम का नमूना (स्पुटम) लेने, स्पुटम की मात्रा और गुणवत्ता के साथ स्लाइड तैयार करने, माइक्रोस्कोपिक जांच, रिजल्ट और रिपोर्टिंग के बारे में बताया गया।
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